कृषि विश्वविद्यालय कोटा के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र ने सहजन के उत्पादों की सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियर भोपाल से जांच करवाई। इसमें इसके उत्पादों को कुपोषण को खत्म के लिए कारगर माना है।
कृषि विज्ञान केन्द्र में डॉ. तिवारी के निर्देशन में सहजन से कई तरह के उत्पाद तैयार किए हैं, जिसे लोग आसानी से खा सकेंगे। सहजन का केक, बिस्किट, नमकीन, मठरी, रायता, सब्जी, भुजिया, लड्डू, पाउडर, कैप्सूल, सूप आदि तैयार किए गए हैं। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने 2022 तक कुपोषण मुक्त भारत अभियान में सहयोग करने के उद्देश्य से इसके उत्पाद बनाए गए हैं।
कई अनुसंधानों में सहजन को सेहत के लिए माना लाभप्रद्रोटीन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा कृषि विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. ममता तिवारी ने बताया कि सहजन में दही से 9 गुना अधिक प्रोटीन, संतरे से 7 गुना ज्यादा विटामिन, गाजर से 4 गुना अधिक विटामिन, केले से 15 गुना ज्यादा पोटेशियम, पालक से 25 गुना ज्यादा आयरन तथा दूध से 17 गुना ज्यादा कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है।
कई बीमारियां दूर करने में है सहायक
डॉ. तिवारी ने बताया कि अनुसंधानों में सामने आया है कि सहजन से बने उत्पादों के सेवन से शारीरिक दुर्बलता, शरीर में रक्त की कमी, मधुमेह तथा सांस की तकलीफ दूर होती है। साथ ही रक्त शुद्ध होता है। सहजन के पत्तों को पीस कर पाउडर तैयार किया जा सकता है, जिसे किसी भी रूप से सेवन किया जा सकता है।