आकाश में बनते खजूर के पेड़, आसमान छूने को उतावले रॉकेट, फोनेक्स टेल, ऑक्टोपसी, आतिशी झरने, आकाशीय आतिशी मेला, पन चरख, सावनभादों, 250 हवाई आतिशबाजी वाला मेजिक बेरल, आसमानी धमाकों से भरी वल्र्ड वॉर, आसमान में गुलाबी रंग के फूल बनाती लेवंडर लाइट, जमीन से आकाश में आवाज करते हुए जाते राकेट और फिर आसमान से उतरते पेराशूट झाड़ और आसमान में धमाल मचाते छोटी-छोटी 20 हवाइयां के आइटम ओलंपिक घूम के आतिशी फन ने ऐसी धूम मचाई कि शहर के हर कोनों से आतिशबाजी का नजारा देख रहे कोटावासी इस आतिशी फन पर फना ही हो गए।
आतिशीबाजी के भव्य आयोजन के दौरान अलग-अलग रंग और और डिजाइन की हवाई आतिशबाजी छोड़ी गई तो हर कोई रोमांचित हो उठा। डिजिटल पायरो आतिशबाजी का अगला बड़ा आकर्षण माइन्स अटैक आतिशबाजी रही। जिसमें जमीन से आसमान में कई निशानों को एक ही शॉट में भेदते हुए रंगीन रौशनी की छटा बिखरती नजर आई। जिससे पूरा आकाश सतंरगी अशर्फियों से भर उठा। इसके बाद हुआ सबसे खास आयोजन, डिजिटल थंडर और वर्डवॉर आतिशबाजी का। जिसमें एक के बाद एक आसमान में फूटती लाल, हरे और पीले आतिशी फव्वारों से नहा गया। मैदान में मौजूद बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक अपलक इन नजारों को निहारते ही रह गए।
आतिशी नजारों की शुरुआत होने के बाद दर्शक अपलक इन्हें देखते रह गए। कभी आकाश में जाकर तेज आवाज व रोशनी के साथ सोने जैसी अशर्फियों की बरसात होती, तो कभी जमीन से लेकर आसमान तक परपल लाइन बनाते हुए आसमान में विलीन होने वाली आतिशबाजी मन मोह लेती। इतना ही नहीं गोल्डन माइन्स के जरिए आसमान में सुनहरे गुच्छे बनाते हुए तेज रोशनी करने वाली आतिशबाजी के साथ-साथ जब हल्क की पॉवर दिखाई दी तो दर्शकों का रोमांच सातवें आसमान पर पहुंच गया। हरे रंग की इस आतिशबाजी चलाते समय छोटी दिखाई दे रही थी, लेकिन जैसे-जैसे आसमान की ऊंचाइयों को छूती जाती है रंग भरी बड़ी आकृतियां बनती जाती हैं। मानो दशहरा मैदान के आकाश पर हल्क खुद अपनी मौजूदगी दर्ज कराने को उतावला हो बैठा हो।