किया गया था इलाज
गौरतलब है कि गत माह बाघिन को लंगड़ाकर चलते हुए देखा गया था। इस पर टाइगर रिजर्व में ही इसे 10 सितम्बर को ट्रंकोलाइज कर उपचार किया था। इसके एक पैर में घाव था व कंधे का मांस फटा हुआ था। इलाज करने के बाद भी इसके स्वास्थ्य मेंं सुधार नहीं होने पर गत माह 26 सितम्बर को इसे टाइगर रिजर्व से अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में लाकर इलाज किया गया। घाव भरने के बाद फिर से 6 अक्टूबर को इसे मुकुन्दरा में छोड़ा गया था। अब बाघिन चारों पैर जमीन पर रखकर आराम से चल रही है।
बाघ को लेकर नहीं कोई खबर
इधर टाइगर रिजर्व के 82 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र से लापता बाघ की अब तक कोई खबर नहीं है। विभाग इसे खोजने के प्रयास कर रहा है, लेकिन यह अभी तक सामने नहीं आया है। बाघ के लापता होने के बाद बाघिन टाइगर रिजर्व में अकेली रह गई है। बाघ को लापता हुए 2 माह से अधिक समय हो जाने से इसके अब मिलने को लेकर भी संशय बना हुआ है। इन हालातों में वन्यजीव प्रेमी बाघिन के लिए जोड़ीदार लाने की उम्मीद मेंं हैं।
इनका है कहना
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के फील्ड डारेक्टर व वन्यजीव विभाग के मुख्य वन संरक्षक एस आर यादव के अनुसार बाघिन के इलाज के बाद अब यह ठीक है। चारों पैर टिकाकर चल रही है। बाघ एमटी-1 अभी नहीं मिला है। मुकुन्दरा में अन्य बाघ लाने के मामले में एनटीसीए से जैसे निर्देश मिलेंगे, उसी के अनुरूप कार्य किया जाएगा। फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता।