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घर-घर सजदे में सिर झुके और दुआओं को उठे हाथ , कोटा की फिजां में बिखरा ईद का उल्लास

locationकोटाPublished: May 26, 2020 01:05:37 am

Submitted by:

Dhirendra

सादगी भरे माहौल में मनाया ईदुल फितर, घरों में रहकर नमाज अदा की, अमन-चैन व कोरोना से मुक्ति की दुआ

घर-घर सजदे में सिर झुके

माहे रमजान में तप, संयम और इबादत के बाद सोमवार को कोटा शहर की फिजां में ईद का उल्लास बिखरा

कोटा. माहे रमजान में तप, संयम और इबादत के बाद सोमवार को शहर की फिजां में ईद का उल्लास बिखरा। कोराना वायरस संक्रमण के बीच ईद खुशियों की बयार लेकर आई। खास मौके पर खुदा के बंदों ने ईद की नमाज अदा की। घर-घर सजदे में सिर झुके और दुआओं को हाथ उठे। खुदा के बंदों ने अपने रब को याद करते हुए कोरोना से मुक्ति व अमन-चैन की दुआएं की।
लॉकडाउन के कारण शहरकाजी अनवार अहमद व अन्य मौलानाओं ने अकीदतमंदों से घर में ही ईद की नमाज अदा करने की अपील की थी। लोगों ने गाइडलाइन व शहरकाजी की अपील पर अमल करते हुए घरों पर ही ईद की नमाज अदा की। घरों में सिवइयां की मिठास घुली। लोगों ने फोन पर एक-दूसरे को ईद की शुभकामनाएं दी। किशोपुरा व नांता ईदगाह पर महज पांच लोगों ने ही नमाज अदा की। अन्य मस्जिदों पर भी यही आलम रहा। लोगों ने बताया कि जीवन में यह पहला अवसर है, जब ईद के मौके पर ईदगाह पर जाने से वंचित रहे।
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ऊपर वाले की ताकत को समझना होगा

शहरकाजी ने बताया कि आज दुनिया में अजीबोगरीब मुकाम आया है। इतिहास में ऐसा कभी पढऩे, देखने व सुनने को नहीं मिला, जब पूरी दुनिया मुश्किल में पड़ गई हो। हर कोई चिंता में डूबा है। मुसीबत से निजात पाने का तरीका सोच रहा है। आज एक बीमारी ने पूरी दुनिया को फिक्र में डाल दिया। उन्होंने संदेश में कहा कि जिंदगी व मौत को देने वाला तो खुदा है। इम्तिहान लेने वाला लेने वाला भी वही है। यह हमारा इम्तिहान है। उसने इंसानों को आजादी दी, लेकिन इंसान उस परमशक्ति ऊपरवाले को भुला बैठा। इंसाफ व इंसानियत का जो बोलबोला दुनिया में होना चाहिए था, उसे भुला बैठे। इंसान सिर्फ स्वार्थ देख रहा है। वह अपने आप को ताकतवर मान बैठा है। आज यह खुदा की ओर से एक चेतावनी है। उन्होंने कहा कि इंसान खुदा का डर जेहन में रखे। हर इंसान को एक न एक दिन अपने किए का हिसाब देना है। धन, दौलत, शानो शौकत कुछ साथ नहीं जाएगा। नेकी, ईमान व इंसाफ की राह पर चलें। एक-दूसरे की तकलीफों को समझें, दर्द को जानें, भूखे की भूख व प्यासे की प्यास को समझें, ऊंच नीच अपने पराए का भेद न करें।
घर में बनी सिवइयां

लोग हर वर्ष बाजारों से मिष्ठान व सिवईयां खरीदते थे, लेकिन इस वर्ष घर में ही सिवइयां तैयार की। कई लोगों ने अन्य व्यंजन भी बनाए।


सिर्फ फोन बना अपनत्व का जरिया
कोरोना वायरस ने अकीदतमंदों को अपनों से भी दूर कर दिया। न दोस्तों से मिले न रिश्तेदारों से। ईद की खुशियों के इजहार का जरिया बना सिर्फ मोबाइल। सूरजपोल क्षेत्र के मुस्तफा आलम बताते हैं कि इस तरह की स्थिति पहली बार सामने आई। घर में नमाज अदा कर एक दूसरे को शुभकामनाएं दी। उन्होंने बताया कि ईद की खुशियों के इजहार का माध्यम फोन ही रहा। इधर मुस्लिम मंसूरी सोशल वर्क नौजवाने कमेटी के अध्यक्ष जैफ खां मंसूरी ने बताया कि वीडियो कॉलिंग कर शुभकामनाएं दी।
मिलन समारोह भी नहीं

कोरोना ने इस वर्ष ईद मिलन समारोह को भी रोक दिया। नगर निगम की ओर से हर बार दशहरा मैदान में मिलन समारोह का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन नहीं हुआ। सामाजिक कार्यकर्ता उमर सीआईडी बताते हैं कि यह तीन दशक में पहला अवसर है।
नमाज भी ऑनलाइन

केशवपुरा स्थित जामा मस्जिद के सदर भूजल वैज्ञानिक इकबाल हुसैन व नासिर मोहम्मद ने बताया कि शहरकाजी की अपील पर मस्जिद में महज पांच लोग मौजूद रहे। क्षेत्र के लोगों ने घरों पर नमाज अदा की। उन्होंने परिवार के साथ ऑनलाइन वीडियो देखकर उसके अनुसार नमाज अदा की। नूरी जामा मस्जिद विज्ञान नगर में सादगी के साथ पांच लोगों ने नमाज अदा की। प्रवक्ता लुकमान रजवी ने बताया इस बार सादगी के साथ ईद मनाई। कोरोना योद्धा विज्ञान नगर थाने के पुलिस कर्मियों इस्तकबाल किया गया। सदर मौलाना अशरफ , अफजल अंसारी, जाकिर अंसारी व अन्य लोग मौजूद रहे। इधर जिला वक्फ कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष वाहिद कुरैशी ने बताया कि कोरोना के दर्द को देखते हुए सादगी से ईद मनाई। नए कपड़े भी नहीं सिलाए, न ही कोई फिजूलखर्ची की।
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