दशक बाद पार्टी फिर खेल सकती है इन पर दांव… 2009 में रंग लाई थी भाया की मेहनत
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 99 पर रोकने और भाजपा के 73 जितने का श्रेय वसुंधरा को ही दिया गया साथ ही मानवेन्द्र को झालावाड़ भेजकर राजे को घर में घेरने की जो रणनीति कांग्रेस ने अपनाई थी वो कारगर नहीं रही लेकिन 2009 के लोकसभा चुनावों में भाजपा, कांग्रेस के चक्रव्यूह में फंस गई थी । दरअसल 2009 के चुनावों में कांग्रेस ने झालावाड़ -बारां सीट से हाड़ौती के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन भाया को टिकट दिया था। भाया बेशक अपनी पत्नी को चुनाव नहीं जीता पाए हो लेकिन उन्होंने इतनी दमदारी से चुनाव लड़ा और राजे का ज्यादा समय झालावाड़-बारां सीट पर प्रचार में बीत गया और वे ज्यादा समय बाकी जगह नहीं दे पाई। नतीजन भाजपा महज 4 सीटों पर ही चुनाव जीत सकी और कांग्रेस ने 20 सीटों पर बाज़ी मार ली । कांग्रेस ने भाया को उनकी मेहनत का पारितोषिक उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर दे दिया ।
दो जिलों की जंग..
दो परिवार और दो नेताओं के आगे अब यह चुनाव दो जिलों के बीच भी नजर आएगा। दरअसल झालावाड़ वसुंधरा राजे का गढ़ है यहां पिछले 30 सालों में कोई और नेता चुनाव नहीं जीत पाया है वहीं बारां में प्रमोद जैन भाया का दबदबा है। अगर मुकाबला दोनों परिवारों के बीच ही होता है तो देखना ये भी दिलचस्प होगा कि दोनों जिलों की जनता किस परिवार का समर्थन करेगी।