केस दो : भामाशाह मंडी की फर्म जम्बू कुमार पदम कुमार के जून 2017 का बिजली बिल 4322 रुपए आया। इससे पहले भी औसत हर माह यही बिल आया करता था। बिजली कम्पनी द्वारा स्मार्ट मीटर लगाने के बाद जुलाई 2018 का बिजली बिल 17245 रुपए का आया। जबकि विद्युत खपत पुराने बिल की अपेक्षा बहुत कम है।
कोटा. शहर में बिजली आपूर्ति की कमान संभाल रही बिजली कम्पनी किस प्रकार से उपभोक्ताओं को लूट रही है। इसकी बानगी यहां देखने को मिली। भामाशाह मंडी में ऐसे एक-दो नहीं, पूरे 500 उपभोक्ता है। जिनको बिजली कम्पनी मनमाना बिजली बिल थमाकर मोटी रकम वसूल रही है। उपभोक्ताओं द्वारा बिजली कम्पनी में सम्पर्क किया जाता है तो कम्पनी द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता। इससे उपभोक्ताओं में रोष व्याप्त है।
बिल वसूले कम्पनी, लाइन मरम्मत मंडी के माथे भामाशाह मंडी में विद्युत व्यवस्था के लिए भामाशाह मंडी प्रशासन ने जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड से एक विद्युत कनेक्शन ले रखा था। उसमें से सभी व्यापारियों को अलग-अलग सब कनेक्शन देकर बिल जारी किया जाता था। वहीं मंडी परिसर की समस्त विद्युत लाइनों की मरम्मत भी मंडी प्रशासन ही करता था। बिजली कम्पनी ने सितम्बर 2017 में भामाशाह मंडी का बिजली कनेक्शन बंद कर सभी व्यापारियों को अलग-अलग कनेक्शन जारी कर दिए। वहीं स्मार्ट मीटर लगाकर मनमाना बिल तो वसूला ही जा रहा है। वहीं मंडी परिसर में फैली विद्युत लाइनों, ट्रांसफार्मर आदि के रख रखाव, मरम्मत की जिम्मेदारी मंडी प्रशासन पर डाल दी।
मंडी प्रशासन द्वारा इस मामले में बिजली कम्पनी को कई बार पत्र लिख चुका, लेकिन बिजली कम्पनी कोई सुनवाई करने को तैयार नहीं है। ऐसे में अगर रात में लाइन में फाल्ट आ जाता है, या तार भी टूट जाता है, ट्रांसफार्मर से फ्यूज भी उड़ जाते है तो मंडी प्रशासन द्वारा लगाए गए तकनीशियन को ही ठीक करना पड़ता है। विद्युत लाइन की मेंटीनेंस के लिए मंडी प्रशासन को मजबूरी में इलेक्ट्रिशियन का हर साल 4.50-5 लाख का टेंडर करना पड़ता है।