scriptऊर्जा मंत्री बोले, बिजली का नहीं, कोयले का संकट है | Energy Minister said, there is a crisis of coal, not of electricity | Patrika News

ऊर्जा मंत्री बोले, बिजली का नहीं, कोयले का संकट है

locationकोटाPublished: Oct 15, 2021 09:30:38 am

Submitted by:

Jaggo Singh Dhaker

राजस्थान के ऊर्जा मंत्री ने कहा कि कोल इंडिया की कंपनियों का राज्य सरकार में भुगतान बकाया है। ऐसी भ्रामक बातों को प्रचारित किया जा रहा है, पर वास्तविकता में नेशनल कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) का कोई पैसा बकाया नहीं है, इस कंपनी को सितंबर 2021 से अग्रिम भुगतान भी प्रदेश की ओर से प्रारंभ किया जा चुका है।

Many units of thermal power houses closed

Many units of thermal power houses closed

कोटा. हाड़ौती सहित राज्य और देश के बिजली घरों में आए कोयला संकट हो लेकर सियासी बयानबाजी जारी है। राजस्थान के ऊर्जा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि प्रदेश में केन्द्र सरकार की ओर से कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण थर्मल पावर उत्पादन संयत्रों के जरिए बिजली उत्पादन में आई कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार केन्द्रीय ऊर्जा एवं कोल मंत्रालय से सतत समन्वय कर रही है। डॉ. कल्ला ने बताया कि वास्तविकता में यह देखा जाए तो प्रदेश के थर्मल पॉवर प्लांट्स में विद्युत उत्पादन में गिरावट बिजली का नहीं बल्कि कोयले का संकट है, जो केन्द्र सरकार के स्तर पर कोयले की आपूर्ति में कमी के कारण उत्पन्न हुआ है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोल इंडिया की कंपनियों का राज्य सरकार में कोई बकाया नहीं है, कोयले की सप्लाई की एवज में समयबद्ध भुगतान किया जा रहा है।
ऊर्जा मंत्री डॉ. कल्ला ने अपने बयान में कहा कि भारत सरकार ने कोयले का राष्ट्रीयकरण किया हुआ है। ऐसे में केन्द्र सरकार राज्यों को एग्रीमेंट और मांग के अनुरूप कोयले की सप्लाई समय पर करे, लेकिन कोल इंडिया लिमिटेड की कंपनियों द्वारा पिछले कई दिनों से अनुबंध में प्रतिदिन के लिए निर्धारित रैक के अनुसार कोयले की दैनिक आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण न केवल राजस्थान में बल्कि देश के कई अन्य राज्यों के थर्मल पावर जनरेशन प्लांट्स में विद्युत उत्पादन पर विपरीत असर पड़ा है। एक तरह से थर्मल पावर जनरेशन प्लांट्स के लिए कोयले की कमी राष्ट्रीय संकट बन गया है।
डॉ. कल्ला ने बताया कि कोल इंडिया की दो कंपनियों एनसीएल तथा एसईसीएल के साथ राजस्थान का प्रतिदिन 11.5 रैक कोयले की आपूर्ति का एग्रीमेंट है, मगर खदानों में वर्षा का पानी भर जाने के कारण पिछले काफी समय से राजस्थान को यहां के थर्मल प्लांट्स की दैनिक मांग की तुलना में औसतन 5.38 रैक प्रतिदिन (1 अक्टूबर से 13 अक्टूबर) की ही आपूर्ति की जा रही है। इससे बिजलीघरों के लिए स्टॉक किस प्रकार रखा जा सकता है, जब दैनिक मांग की ही पूर्ति आपूर्ति कोल इंडिया की इन दो कंपनियों द्वारा नहीं की जा रही हो।
राज्य को एग्रीमेंट के अनुसार कोयले की रैक की आपूर्ति कोयला मंत्रालय, भारत सरकार की अेर से कर दी जाएगी तो यह संकट समाप्त हो जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश को कोल इंडिया की दोनों कंपनियों से 11 रैक प्रतिदिन की एवज में 1 व 2 अक्टूबर को 4-4 रैक, 3 अक्टूबर को 5, 4 अक्टूबर को 6, 5 अक्टूबर को 4, 6 अक्टूबर को 7, 7 अक्टूबर को 6, 8 से 10 अक्टूबर को 5-5, 11 अक्टूबर को 6, 12 अक्टूबर को 7 तथा 13 अक्टूबर को केवल मात्र 6 रैक कोयला इन दोनों कंपनियों के माध्यम से राज्य को मिल पाया।
डॉ. कल्ला ने बताया कि कोल इंडिया की कंपनियों का राज्य सरकार में भुगतान बकाया है। ऐसी भ्रामक बातों को प्रचारित किया जा रहा है, पर वास्तविकता में नेशनल कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) का कोई पैसा बकाया नहीं है, इस कंपनी को सितंबर 2021 से अग्रिम भुगतान भी प्रदेश की ओर से प्रारंभ किया जा चुका है। वहीं दूसरी कंपनी एसईसीएल ने 11 अक्टूबर 2021 को हमें अवगत कराया है कि राजस्थान का 9 अक्टूबर 2021 को 252.61 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है। इसके विपरीत यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015-16 के कोयले की गुणवत्ता में कमी का 459 करोड़ रुपए का भुगतान एसईसीएल को करना है जो कि दिसंबर 2018 से वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र (एडीआरएम) के निपटारे के तहत बाकी चल रहा है। फिर भी एसईसीएल की ओर से भुगतान या अग्रिम भुगतान के बारे में कहा जाएगा उस पर समयबद्ध कार्यवाही की जाएगी।
ऊर्जा मंत्री ने बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड की ओर से तय एग्रीमेंट के अनुरूप राज्य को कोयला आपूर्ति नहीं किए जाने के कारण प्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के कोल ब्लॉक परसा ईस्ट एवं कांता बेसिन से कोयले की अतिरिक्त रैक लेने की कार्यवाही की जा रही है। इसके लिए राज्य के अधिकारी रात-दिन मेहनत के साथ कार्य कर रहे हैं। इसी कारण 11 अक्टूबर को 10 रैक, 12 अक्टूबर को 12 रैक तथा 13 अक्टूबर को 11 रैक कोयला की प्रदेश की थर्मल यूनिट्स के लिए आपूर्ति की गई है। उन्होंने बताया कि छतीसगढ़ में राजस्थान को आवंटित एक अन्य कोल ब्लॉक से भी नियमित तौर पर कोयला प्राप्त करने की दिशा में भी प्रयास जारी है। इस ब्लॉक से कोयला प्राप्त करने के लिए बायोडायवर्सिटी क्लीयरेंस की आवश्यकता है, जिसके लिए सीएम अशोक गहलोत ने भारत सरकार और केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को कई पत्र लिखे हैं। इसके अलावा छतीसगढ़ के सीएम को भी पत्र लिखा गया है। राज्य की ओर से इस ब्लॉक का बायोडायवर्सिटी क्लीयरेंस लेने के लिए लगातार फॉलोअप किया जा रहा है।

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