किसान आंदोलन की आहट मिलते ही जारी हो गया फसल बीमा क्लेम किसानों को 4000 करोड़ का नुकसान, भरपाई करे सरकार सभा को सम्बोधित करते हुए संघ के प्रदेश सहमंत्री जगदीश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री से किसानों की मांगें मानने का आग्रह किया जा रहा है। लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही। पानी सिर से निकलने लगा तो हमें अपनी ताकत दिखानी पड़ी। समर्थन मूल्य पर दलहनी जिंसों की खरीद नहीं होने से प्रदेश के किसानों को 4000 करोड़ का नुकसान हुआ है। सरकार इसकी भरपाई करे। किसानों को उपज का पूरा दाम नहीं मिल रहा। मंडियों में उपज का दाम व्यापारी तय करता है, यह सिस्टम बंद हो। सभी कृषि जिंसों की उत्पादन लागत निकाल कर उसमें 50 फीसदी लाभ जोड़कर न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जाए। मंडियों में इससे कम दाम में उपज बिके तो सरकार उस उपज को खरीदने की गारंटी ले।
वीडियो : सरकार ने नहीं खरीदे मूंग, किसान कम दामों पर बेचने को मजबूर सालभर में भी शुरू नहीं हुए धर्मकांटे प्रांतीय उपाध्यक्ष अमरलाल गहलोत ने कहा कि भामाशाह मंडी में धर्मकांटे लगे सालभर हो गया, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुए। एक ओर तो सरकार मंडियों को ऑनलाइन करने की बात करती है। वहीं दूसरी ओर तुलाई व्यवस्था आज भी पुराने ढर्रे पर है। प्रदेश की सभी मंडियों में धर्मकांटों से तुलाई की व्यवस्था लागू होनी चाहिए। किसानों की उपज मंडियों में उत्पादन लागत से नीचे बिकती है तो उसे अपराध माना जाए।
महापड़ाव से डरी सरकार, 32 रुपए प्रति किलो भाव से खरीदेगी लहसुन
चप्पे-चप्पे पर पुलिस रैली के दौरान भारी मात्रा में पुलिस लवाजमा यातायात व्यवस्था बनाने में लगा था। किसान मुख्य मार्ग पर एक ओर दो कतारों में चल रहे थे। संभागीय आयुक्त कार्यालय के बाहर भी भारी मात्रा में आरएसी के जवान व पुलिसकर्मी तैनात थे।
इधर किसानों ने अर्धनग्न होकर किया प्रदर्शन इधर संभागीय आयुक्त कार्यालय के बाहर ही विभिन्न मांगों को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा के धरने में इटावा क्षेत्र के किसानों ने अर्धनग्न होकर प्रदर्शन किया। दोपहर करीब दो बजे किसान अर्धनग्न हो धरने पर बैठे। यहां वक्ताओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर हक की लड़ाई के लिए किसानों को एकजुट होने का आह्वान किया।
#किसान_आंदोलन: Video: लहसुन का नाम भी लूं तो पड़े मुझे 7 जूते प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए सभा के संभागीय संयोजक दूलीचंद बोरदा ने कहा कि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। मंडियों में उपज के जो भाव लग रहे हैं, उससे खर्चा भी नहीं निकल रहा। लहसुन के भावों ने किसानों की कमर तोड़ रखी है। सरकार किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए 32 रुपए किलो के भाव में लहसुन खरीद रही है। यह तो उसकी उत्पादन लागत ही है। किसान इस भाव में उपज बेचेगा तो परिवार को पेट कैसे पालेगा। सरकार को लहसुन की बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत खरीद दर बढ़ाकर 50-60 रुपए प्रति किलो घोषित करनी चाहिए। प्रदर्शन को राधेश्याम परालिया, जगदीश यादव, रघुवीर यादव सहित कई किसान प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया।