scriptvideo : विवेक रूपी आंखें सदा खुली रहें | Five days Gita Jayanti Festival | Patrika News

video : विवेक रूपी आंखें सदा खुली रहें

locationलखनऊPublished: Dec 08, 2016 11:52:00 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

गीता भवन में पांच दिवसीय गीता जयंती महोत्सव शुरू, गूंजी संतों की वाणी

कोटा. गीता भवन में गीता सत्संग आश्रम समिति के तत्वावधान में गुरुवार से पांच दिवसीय गीता जयंती महोत्सव शुरू हुआ। पहले दिन संतों ने प्रचचन करते हुए जीवन का सार समझाया। एकाग्रता से लोगों ने संतों की वाणी सुनी।
वृंदावन से आए पुण्डरीक गोस्वामी ने कहा कि गीता का ज्ञान किसी धर्म विशेष, जाति व वर्ग में बंटा हुआ नहीं है। यह चारों आश्रमों को साधने वालों के लिए है। 

इसका चिंतन, मनन और जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। साधु, संत, व्यापारी, गृहस्थ, संन्यासी, अधिकारी, कर्मचारी गीता ज्ञान को जीवन में आत्मसात करलें तो समस्त विश्व का कल्याण हो जाए। 
गीता भगवान कृष्ण द्वारा गाया गीत है। महाभारत में धृतराष्ट्र के चरित्र को बताते हुए पुण्डरीक गोस्वामी ने कहा कि आंखें भले ही देख नहीं पातीं हो, लेकिन विवेक रूपी आंखें सदा खुली रहनी चाहिए। 
उन्होंने कहा कि गीता राष्ट्र ग्रन्थ है, इस देश का सौभाग्य है कि भगवान कृष्ण ने इस धरा पर अर्जुन को पाठ पढ़ाया। हरिद्वार की साध्वी विभू चेतना, सवाईमाधोपुर की मीरा बाई, छत्तीसगढ़ के संत रामस्वरूप गिरी, चित्रकूट के केशवानंद व अन्य ने भी संबोधित किया।
इससे पहले गीता सत्संग आश्रम समिति अध्यक्ष के.के. गुप्ता, मंत्री वैद्य बद्रीलाल गुप्ता, संयोजक गिर्राज गुप्ता, उपाध्यक्ष कुंती मूंदड़ा व अन्य पदाधिकारियों ने संतों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। 

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