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मिलावटी माल खरीदने से बच नहीं पाते जी, हां, त्योहार के दौरान लोग भारी मात्रा में मिठाई खरीदते हैं, इसमें मिलावटी भी शामिल होती है, लेकिन परख करने वाले विभाग की सैंपल रिपोर्ट ही त्योहार के बाद आएगी। ऐसे में कारोबारी के विरुद्ध जरुर कार्रवाई हो जाती है, लेकिन लोग न तो मिलावटी माल खरीदने से बच पाते और न ही खाने से। सीजन में जांच के लिए खाद्य विभाग के पास मोबाइल लैब होनी चाहिए, ताकि मौके पर ही मिलावट का गौरखधंधा पकड़ा जा सके, लेकिन जिले में ऐसा अभी कुछ नहीं हो रहा है। यह भी पढ़ें
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बेखौफ बेचते हैं मिलावटी माल नियमों के तहत जिस माल का सैंपल भरा जाता है, उसे सील कर दिया जाता है, ताकि बिकवाली न हो। उधर, करोबारी दूसरा माल बना लेता है। दूसरे माल में भी मिलावट न हो इसकी गारंटी किसी के पास नहीं। किसी दुकान पर सैंपल भरने के बाद आमतौर पर खाद्य विभाग की टीम वापस नहीं जाती है। इससे पूरा सीजन में कारोबारी बेखौफ होकर मिलावटी माल बेचते हैं। त्योहारी सीजन में भारी मांग होने के कारण सभी की मिठाई खफ जाती है। इसी का फायदा उठाकर व्यापारी सेहत का ध्यान रखे बिना दूषित मावे की मिठाइयां भी लोगों को खिला देते हैं। इधर विभाग खाना पूर्तिकर जांच की इतिश्री कर लेता है। यह भी पढ़ें
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यह है प्रावधान 15 दिन में जांच रिपोर्ट दिए जाने का प्रावधान है। त्योहारी सीजन में ज्यादा सैंपल लिए जाते हैं, इससे जांच की समय अवधि भी बढ़ जाती है। वहीं झालावाड़ में जांच लैब नहीं होने से सैंपल को कोटा व जयपुर भेजा जाता है। इससे जांच में और ज्यादा समय लगता है। नजीता लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता है। ऐसे में बिना संसाधन के विभाग द्वारा लोगों की सेहत खराब नहीं होने का दावा करना बेमानी साबित हो रहा है। यह भी पढ़ें