scriptपहले आवेदन लिए, बाद में नियम बताकर शौचालय बनाने से मना कर दिया | For the first application, after the rule, the toilet refused to make | Patrika News

पहले आवेदन लिए, बाद में नियम बताकर शौचालय बनाने से मना कर दिया

locationकोटाPublished: Jan 09, 2019 05:01:01 pm

Submitted by:

Deepak Sharma

कागजी निकला ओडीएफ का तमगा
कई वार्ड नहीं हुए खुले में शौच से मुक्त, पार्षदों ने खोली पोल

kota news

For the first application, after the rule, the toilet refused to make

कोटा. शहर को ओडीएफ घोषित करवा तमगा हासिल करने की नगर निगम की कवायद की धीरे धीरे पोल खुल रही है। कई पार्षदों ने कागजी औपचारिकता पूरी कर ओडीएफ घोषित करवाने का खुलकर विरोध किया। एक पार्षद ने तो यहां तक दावा कि उनके वार्ड में एक हजार से अधिक लोगों ने शौचालय बनवाने के लिए आवेदन किया, लेकिन बनाया एक भी नहीं। पार्षदों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने शहर को ओडीएफ दिखाने के लिए बिना शौचालय बनाए ही पार्षदों से हस्ताक्षर करवाकर अनुशंसा करने के लिए पत्र भेज दिया।
एक भी शौचालय बना हो तो इस्तीफा दे दूं

वार्ड 15 के पार्षद अतुल कौशल ने बताया कि करीब 1 हजार लोगों ने निगम में आवेदन जमा करवाए थे, लेकिन एक भी शौचालय नहीं बना है। सभी आवेदन निगम में पड़े है। जब आयुक्त व ओडीएफ से जुड़े अधिकारियों से बात की तो उनका जवाब था कि वार्ड में शौचालय बनाने की जरूरत नहीं है। वहां सार्वजनिक शौचालय है, लोग उसका उपयोग कर लेंगे। अधिकारी कैसे काम कर रहे हैं समझ से बाहर है। वे एक बार आकर सार्वजनिक शौचालय की हालत तो देखें। कौशल ने दावा किया कि निगम मेरे वार्ड में एक भी शौचालय का निर्माण दिखा दे तो मैं पार्षद पद से इस्तीफा दे दूंगा। शौचालय बनाए बिना ही अनुशंसा पत्र भिजवा दिए
वार्ड 45 के पार्षद मोहम्मद हुसैन ने बताया कि मेरे वार्ड में लोगों ने 1350 फार्म भरे थे। निगम ने करीब तीन फीसदी यानी 49 शौचालय बनवाए। इसके बाद पूर्व आयुक्त ने मेरे वार्ड को ओडीएफ करने का एक पत्र अनुशंसा के लिए भेज दिया। पत्र लेकर मैं आयुक्त से मिला तो आयुक्त का कहना था नियमों में कुछ बदलाव किया गया है। बाकी लोग सुलभ शौचालय का उपयोग कर लेंगे। जब कहा कि जब शौचालय बनाने ही नहीं थे तो आवेदन क्यों भरवाए गए। काफी बहस के बाद मैं वो कागज उनकी टेबल पर पटककर आ गया। हुसैन ने कहा कि अधिकारियों की मर्जी है, वे चाहे जो करे, निगम में देखने वाला कोई नहीं।
जो बने हैं वह भी अधूरे

पार्षद सुरेश मीणा ने बताया कि वार्ड 8 में 250 से ज्यादा शौचालय बनने थे। अभी भी 175 शौचालय बनने बाकी है। निगम ने पहले ठेकेदार से शौचालय बनवाए, लेकिन ठेकेदार बीच में ही आधे अधूरे बनाकर छोड़ भागा। इसके बाद निगम ने लोगों को स्वयं शौचालय बनाने के लिए कहा, लेकिन भुगतान नहीं किया तो अन्य लोगों ने काम ही नहीं छेड़ा।
अभी शौचालय बनाने का काम बंद पड़ा है।
वार्ड 31 के पार्षद कृष्ण मुरारी सामरिया ने बताया कि करीब 180 लोगों के घरों में निगम की ओर से शौचालय बनाने थे। ठेकेदार व स्वयं लोगों ने करीब 145 शौचालय बनाए, वे भी आधे अधूरे पड़े है। करीब 35 शौचालयों का तो काम भी शुरू नहीं हुआ। निगम से भुगतान नहीं हुआ तो लोगों ने व्यक्तिगत शौचालय का काम भी रोक दिया।
आयुक्त को दिया ज्ञापन

कोटा. प्रेमनगर तृतीय के लोगों ने कांग्रेस कमेटी एससी विभाग के नेतृत्व में मंगलवार को आयुक्त को ज्ञापन देकर शौचालय बनाने, आधे अधूरे शौचालयों का काम पूरा करवाने और बने हुए शौचालयों के अनुदान का शीघ्र भुगतान कराने की मांग की।
सचिव विनोद बुर्ट ने बताया कि डीसीएम क्षेत्र, इन्द्रागांधी नगर, प्रेमनगर व गोविन्द नगर में ऐसे कई परिवार हैं, जिन्होंने निगम के कहने पर कर्जा लेकर शौचालय बना लिए, लेकिन निगम ने उन परिवारों को अभी तक अनुदान राशि का भुगतान नहीं किया। निगम अब सेक्टर वाइज शिविर लगाकर सर्वे करवाए और शौचालयों का निर्माण करवाया जाए। साथ ही अनुदान भी जल्द दिलवाया जाए।
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