जानकारों के अनुसार इसके प्रमुख कारणों में यह भी कि राज्य के विश्वविद्यालों में शोध का स्तर बेहतर नहीं है। हमारे शिक्षण संस्थान समय दुनिया भर के मंच पर इसकी सूचना भी नहीं दे पाते हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से शैक्षणिक सत्र 2018-19 में कराए गए अखिल भारतीय उच्चतर शिक्षा सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है। जानकारों के अनुसार प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पीएचडी एडमिशन शुरू करने का कोई निश्चित समय नहीं है। इसके साथ ही एक नोटिस निकाल कर प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की सूचना दे दी जाती है, जिसकी वजह से विदेशों में बैठे छात्रों को एडमिशन के बारे में पता ही नहीं चल पाता।
विश्वविद्यालयों को आवेदन करने से लेकर प्रवेश परीक्षा देने की ऑनलाइन व्यवस्था करनी होगी। तभी विदेशी छात्रों की आमद बढ़ सकेगी। चिंता की बात यह भी है कि देश में महिलाएं पुरूषों की तुलना में पीएचडी कम कर रही है। पुरूषों की तुलना में आधी से भी कम संख्या। रिपोर्ट के अनुसार सौ पुरुषों की तुलना में मात्र 49 महिलाएं ही शोधार्थी बन पाती है। राहत की बात है कि राजस्थान में महिलाएं पुरूषों से इस मामले में जरा ही कम हैं।
पीएचडी कर रहे विदेशी छात्रों की स्थिति जानने के लिए एआईएसएचई ने देश के करीब 993 से अधिक विश्वविद्यालयों, 39393 हजार महाविद्यालयों और10725 स्टेंड अलोन इंस्टीट्यूट्स में सर्वे कराया था। इन संस्थानों में शोध कार्य के लिए उलब्ध विषयों, रिसर्च सेंटर्स पर मौजूद सुविधाओंए रिसर्च गाइड की योग्यताए शोधार्थियों के प्रति उनका व्यवहार, शोध का स्तर और उसके बाद प्लेसमेंट की स्थिति का आंकलन किया। राजस्थान का हाल बदहाल सर्वे में खुलासा हुआ कि राजस्थान के उच्च शिक्षण संस्थानों में शोध कार्यों की स्थिति बेहद खराब है।
राजस्थान में पीएचडी कर रहे सिर्फ सत्रह विदेशी छात्र राजस्थान के विश्वविद्यालयों और महा विद्यालयों में मात्र सत्रह विदेशी छात्र ही रिसर्च कर रहे हैं। इनमें सोलह पुरूष छात्र और एक छात्रा है। सर्वाधिक विदेशी छात्र 328 उत्तरप्रदेश में, इसके बाद202 कर्नाटक, तीसरे स्थान पर 150 छात्र तमिल नाडू और 115 विदेशी छात्र महाराष्ट्र में पीएचडी कर रहे हैं। राजस्थान का हाल एक शहर के राज्य दिल्ली और केन्द्र शासित चंडीगढ से भी बुरा है। दिल्ली में 131 व चंडीगढ़ में 38 विदेशी छात्र पीएचडी कर रहे हैं। छोटे राज्य भी हमसे बेहतर हैं। आसाम में 67, हरियाणा में 51, पंजाब में 92 और शिक्षा के लिए कोई साख नाम नहीं रखने वाले बिहार में भी 31 विदेशी छात्र पीएचडी कर रहे हैं।
स्नातकोत्तर उपाधि भी यहां 145 विदेशी छात्र कर रहे हैं। इसके अलावा पीजी डिप्लोमा और एमफिल में एक भी विदेश छात्र नहीं है। जानकारों का कहना है कि शिक्षकों की कमी के साथ ही 65 फीसदी रिसर्च सेंटर्स में छात्रों के लिए मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं। इन तमाम परिस्थितियों के चलते विदेशी छात्र राजस्थान में शोध करने से पीछे हट जाते हैं।
आंकडो का गणित वर्ष 2018 देश में कुल पीएचडी अवार्ड की 40813 पुरूषों की संख्या 23765 महिलाओं की संख्या 17048