read also : दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर फिर बाधित होगा ट्रेन परिचालन जिला प्राधिकरण के सचिव व अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश शिव कुमार ने बताया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट धारा 75, 79 जेजे एक्ट एवं धारा 3, 14 बालश्रम प्रतिषोध अधिनियम में दर्ज हुई थी। उक्त चारों बच्चे आदिवासी वर्ग से हंै। चारों बच्चों की ओर से बाल कल्याण समिति ने पुनर्वास के लिए पीडि़त प्रतिकर समिति, बारां के समक्ष प्रार्थना पत्र पेश किया था। पीडि़त प्रतिकर समिति ने प्रत्येक पीडि़त बालक को एक-एक लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है। उक्त पीडि़त प्रतिकर की राशि 10 वर्ष तक के लिए प्रत्येक बच्चे के मियादी खाता में जमा कराई गई है। मियादी खाता में जमा राशि पर प्राप्त होने वाला त्रैमासिक ब्याज चारों बच्चों के बचत खाता में जमा होता रहेगा, जिसका उपयोग उनकी पढ़ाई लिखाई एवं देखभाल पर खर्च होगा। इन चार में से तीन बच्चों को टैगोर बालगृह में रखने के लिए बाल कल्याण समिति ओर से निर्देशित कर दिया गया है। उक्त बच्चों को एक प्रतिष्ठित सीनियर सैकण्डरी स्कूल में दाखिला भी दिला दिया गया है। पीडि़त प्रतिकर समिति में जिला एवं सेशन न्यायाधीश अध्यक्ष होते हैं। पारिवारिक न्यायाधीश, जिला कलक्टर, पुलिस अधीक्षक, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एवंलोक अभियोजक सदस्य होते हंै।