इस स्कूल को उत्कृष्ट स्कूल का दर्जा मिला हुआ है। इसके बावजूद यहां सुविधाएं नाममात्र है।
पुराना हो चुका है स्कूल भवन विद्यालय का भवन कई बरसों पूर्व निर्मित होने से पुराना व जर्जर हो चुका है। हल्की बारिश के दौरान ही कमरों की छते टपकने लगती है। ऐसे में मजबूरन स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है। जिससे अध्ययन प्रभावित हो रहा है।
एक साल से कार्य बंद
प्रधानाचार्य चंद्रप्रकाश शृंगी ने बताया कि कक्षा-कक्षों की कमी को लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत कराया था। जिसके बाद कक्ष निर्माण लिए 7 लाख रुपए बजट स्वीकृत हुआ। ऐसे में थोड़ी राहत की उम्मीद जगी, लेकिन राशि मात्र साढ़े तीन लाख रुपए ही अभी तक मिली है। शेष राशि नहीं मिलने से कक्षा कक्ष का निर्माण कार्य एक साल से अधूरा पड़ा है।
खेल मैदान पर अतिक्रमण
स्कूल का करीब 15 बीघा में फैला खेल मैदान है। लेकिन उस पर सालों से अतिक्रमियों ने कब्जा कर रखा है। हालांकि इस संबंध में विद्यालय प्रशासन ने जिला कलक्टर व उपखंड अधिकारी रावतभाटा को शिकायत कर रखी है, लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है।
9 पद स्वीकृत, 6 पर नियुक्ति
विद्यालय में शिक्षकों के पद लम्बे समय से खाली चल रहे हैं। यहां प्रधानाचार्य सहित 9 पद स्वीकृत है, लेकिन मात्र 6 शिक्षक ही वर्तमान में है। जिन पर 121 विद्यार्थियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी है। लेवल वन में एक शिक्षक व लेवल टू में सामाजिक व संस्कृत के शिक्षकों के पद रिक्त है। इनमें से एक शिक्षक को विद्यालय के अन्य कार्य करने होते हैं।
वर्जन
प्रधानाचार्य शेष बजट नहीं मिलने के बारे में लिखित में भिजवाएं। ताकि बाकी राशि भी मंगवाकर कक्षा कक्ष का निर्माण पूरा कराया जा सके।
– पन्नालाल बैरवा, ब्लॉक मुख्य प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी, भैसरोडगढ़