केस. 2 जवाहर नगर निवासी विकास कौशिक की शनिवार रात को पॉजिटिव रिपोर्ट आई, लेकिन रातभर व दूसरे दिन भी कोई मेडिकल टीम घर पर नहीं पहुंची। उन्हें दवाइयां तक नसीब नहीं हुई। उनके पड़ोसी ने उन्हें बाहर दवाइयां उपलब्ध करवाई।
कोटा. शहर में कोरोना से हालात बेकाबू हो चुके है। हालात काफी खराब हो चुके है। यदि आप कोरोना पॉजिटिव होते है तो अपना इलाज खुद कराओ। चिकित्सा विभाग से आपकी देखभाल व दवाइयां देने वाला कोई नहीं आएगा। लगातार कोरोना मरीज बढऩे से जिला प्रशासन का सिस्टम भी फेल हो चुका है। चिकित्सा विभाग होम आइसोलेट पॉजिटिव मरीजों की मॉनिटरिंग तो दूर की बात है। मरीजों को दवाइयां तक नहीं पहुंचा पा रहा है। इससे दो से पांच दिन तक मरीजों को घरों पर दवाइयां तक नसीब नहीं हो रही है। मरीजों को मजबूरन उनके पड़ोसी व परिचित ही बाहर मेडिकल स्टोर से दवाइयां लेकर उपलब्ध करवा रहे है। जबकि यह जिम्मेदारी चिकित्सा विभाग की है, लेकिन बीते 15 दिन में शहर से कोरोना से हालात बिगडऩे से जिला प्रशासन का पूरा सिस्टम फेल हो गया है। चिकित्सा विभाग ने कोरोना मरीजों की मॉनिटरिंग का जिम्मा डिस्पेंसरी वार बांट रखा है।
संबंधित डिस्पेंसरी में इतने डॉक्टर, नर्सिंग व अन्य स्टाफ उपलब्ध नहीं है कि कर्मचारी एक-एक मरीज के घर पर जाकर उनकी मॉनिटरिंग कर सके। उन्हें दवाइयां व मेडिकल किट उपलब्ध करवा सके। यदि आपकी स्थिति गंभीर होती है तो खुद ही अस्पताल पहुंचना होगा। आपके लिए कोई एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध नहीं है। लगातार मरीज बढऩे से मेडिकल संसाधन भी कम पडऩे लग गया है। वहीं, होम आइसोलेट मरीज को यदि रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल के डे केयर सेंटर पर जाना होता है, लेकिन वहां भी इंजेक्शन की किल्लत होने से लग नहीं पा रहे है। बाजारों में भी ये इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे है।
कोटा का मॉडल पूरे प्रदेश में लागू पिछले साल जब कोटा में कोरोना ने कहर बरपाया था। उस समय भी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में संसाधन कम पड़ गए थे, तब कोटा चिकित्सा विभाग ने मरीज को होम आइसोलेट का मॉडल लागू कर चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करवाई थी। इस मॉडल को पूरे प्रदेश में सराहा गया था और इसे अन्य प्रदेशों में भी लागू किया गया था, लेकिन पिछले साल की तरह इस साल चिकित्सा विभाग की कोई तैयारी नहीं होने से होम आइसोलेट मरीजों के लिए पूरी तरह से मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है।
इनका यह कहना शहर में कोरोना के लगातार मरीज बढऩे से होम आइसोलेट मरीजों की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है, लेकिन इस व्यवस्था को जल्द सुधार किया जाएगा। डिस्पेंसरी वाइज मरीज की मॉनिटरिंग के साथ ही दवाइयों की व्यवस्था करवाई जाएगी। – डॉ. बीएस तंवर, सीएमएचओ, कोटा