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बांग्लादेश से तस्‍करी कर लाई गई नाबालि‍ग को नोचते रहे हैवान, कोटा में मि‍ली पनाह

locationकोटाPublished: Jun 12, 2018 07:46:48 pm

Submitted by:

​Zuber Khan

डेढ़़ साल से ज्यादा वक्त तक एक के बाद एक हाथों में बिकते हुए कोटा तक पहुंची तत्समय किशोर वय यह मासूम मौका मिलते ही दलालों के चुंगल से भाग निकली।

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इस हाथ से उस हाथ बिकती रही बांग्लादेश की खुशी, साढ़े तीन साल तक जिस्मफरोशी के धंधे में धकेलते रहे तस्कर, कोटा ने कराया आजाद

कोटा . करीब साढ़े तीन साल पहले खुशहाल जिंदगी का ख्वाब दिखाकर जिस्मफरोशी से धंधे में धकेली गई एक मासूम लड़की हुगली के रास्ते बांग्लादेश से हिंदुस्तान तो पहुंच गई, लेकिन यहां आते ही उसकी वापसी के सारे रास्ते बंद हो गए।

डेढ़़ साल से ज्यादा वक्त तक एक के बाद एक हाथों में बिकते हुए कोटा तक पहुंची तत्समय किशोर वय यह मासूम मौका मिलते ही दलालों के चुंगल से भाग निकली। लेकिन, यहां न कोई उसकी भाषा जानता था और ना ही उसे अपने घर का पता मालूम था।
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18 महीने की कोशिशों के बाद बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने जैसे-तैसे उसका ठिकाना तलाश किया और अब कोटा बांग्लादेश को उसकी ‘खुशी’ वापस लौटाने जा रहा है।


19 अगस्त 2016… कैथूनीपोल के पास खड़ी एक बदहवास लड़की को देख वहां से गुजरते लोगों को किसी अनहोनी का अंदेशा हुआ। सूचना मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंची।
लड़की ने जैसे ही महिला पुलिस कर्मियों को देखा वह उनसे लिपट कर रोने लगी, लेकिन घंटों कोशिश करने के बाद भी कोटा पुलिस पता नहीं कर सकी कि आखिर वह कौन थी, कहां से आई थी और क्या कहना चाहती थी? आखिर में पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति के सुपुर्द कर नान्ता स्थित बालिका आश्रय गृह भेज दिया था।
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चिठियो को मिला पता
‘खुशी’ का पता मालूम पडऩे के बाद सीडब्ल्यूसी ने 12 अप्रेल 2018 को बंग्लादेश के दूतावास को जानकारी दी। दूतावास ने महज 18 दिन में लड़की के परिजनों को तलाश कर जानकारी कोटा भेज दी। इतना ही नहीं, उसे वापस घर भेजने के लिए ट्रेवल परमिट भी जारी कर दिया। पहचान साबित हो जाने के बाद अब बाल कल्याण समिति बांग्लादेश को उसकी ‘खुशी’ लौटाने में जुटी है।
11 महीने बाद खुला राज

लड़की इतने गहरे सदमे में थी कि कई महीने तक किसी से कुछ न बोली। सीडबल्यूसी पदाधिकारियों को जब कुछ न सूझा तो उन्होंने उसकी बातचीत के ऑडियो बना भाषा विशेषज्ञों के पास भिजवाए। करीब 11 महीने बाद जाकर राज खुला कि परंगपरागत बंग्ला भाषा बोल रही लड़की का नाम खुशी (काल्पनिक नाम) है और वह बंग्लादेश की रहने वाली है।
हरीश गुरुबख्शानी, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, कोटा ने बताया कि भारतीय जांच एजेंसियों के साथ मिलकर जल्द ‘खुशी’ का एग्जिट परमिट तैयार कराने में जुटे हैं। जैसे ही परमिट आ जाएगा उसे बांग्लादेशी दूतावास को सौंप दिया जाएगा। वहां से उसे उसके घर तक पहुंचाया जाएगा।

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