इस दिन के लिए मान्यता प्रचलित है कि भगवान कृष्ण ने वृंदावन धाम के लोगों को तूफानी बारिश से बचाने के लिए पर्वत को अपने हाथ पर उठा लिया था और सभी को अपनी गाय सहित पर्वत के नीचे शरण लेने को कहा। इससे इंद्र देव और क्रोधित हो गए और बारिश की गति तेज कर दी। इंद्र लगातार रात- दिन मूसलाधार बारिश करते रहे। काफी समय बीत जाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि कृष्ण कोई साधारण मनुष्य नहीं है।
जब वह ब्रह्माजी की शरण में गए तब उन्हें पता चला की श्रीकृष्ण हरि विष्णु के अवतार हैं। यह सुनकर इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने भगवान कृष्ण से माफी मांगी। इसके बाद इन्द्र ने कृष्ण की पूजा की और उन्हें भोग लगाया। तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा कायम है। मान्यता है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा-अर्चना करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं।