कोटा

आधुनिक मशीनों से मिलेगा बिना चीरफाड़ आसान उपचार

मेडिकल कॉलेज के तीनों अस्पतालों में उपचार सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए 16 विभागों में 7 करोड़ 36 लाख रुपए के उपकरण व मशीनों की खरीद की जा रही है।

कोटाDec 14, 2016 / 07:41 am

shailendra tiwari

मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में लगेंगी सवा सात करोड़ की मशीनें
मेडिकल कॉलेज के तीनों अस्पतालों में उपचार सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए 16 विभागों में 7 करोड़ 36 लाख रुपए के उपकरण व मशीनों की खरीद की जा रही है। अगले करीब चार माह में सभी उपकरणों की खरीद पूरी कर उपचार में इनका लाभ मिल सकेगा। साथ ही इनकी मदद से कॉलेज को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की यूजी सीटों की मान्यता, पीजी की सीट बढ़ाने और कई विभागों में एमसीएच कोर्स शुरू करने में मदद मिलेगी। 
बिना चीरफाड़ होगा पथरी का ऑपरेशन

यूरोलॉजी विभाग में ढाई करोड़ की लागत से एक्स्ट्रा कॉरपोरियल शॉर्क वेव लीथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल मशीन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक) की खरीद हो रही है। इसकी मदद से किडनी में काबुली चने (एक से डेढ़ सेंटीमीटर) के बराबर की पथरी को बिना चीरफाड़ और बिना बेहोश किए निकाला जा सकेगा। सह आचार्य व एचओडी डॉ. निलेश जैन ने बताया कि इस मशीन में एक्सरे व सोनोग्राफी लगी होती है। जो पथरी की स्थिति को बताती है। इस पर फोकस होने के बाद मशीन तरंगों के सहारे पथरी को तोड़ कर चूरा बना देती है। जो यूरीन के रास्ते निकल जाती है। 
आंख की सीटी स्कैन व एंजियोग्राफी

नेत्र रोग विभाग में एक करोड़ 5 लाख रुपए के तीन उपकरणों की खरीद होगी। विभागाध्यक्ष डॉ. जयश्री सिंह ने बताया कि इनमें 45 लाख रुपए की ऑप्टीकल कोहरेंस टोमोग्राफी मशीन है, जो आंख के पर्दे, मेकुला और ऑप्टिक नर्व की गहनता से जांच करती है। इसे आंख की सीटी स्कैन मशीन भी कहा जाता है। जो ग्लुकोमा और रेटिना के बीमारियों में जांच आती है। दूसरी फंडस फ्लूरोस्केन एंजियोग्राफी विद फंडस कैमरा 40 लाख रुपए की मशीन है। जिसमें दवा डाल कर आंख की नसों की रुकावट की जांच होती है। इसे आंख की एंजियोग्राफी कहते है। 30 लाख रुपए से ग्रीन लेजर फोटोकोगलेशन मशीन भी शामिल है, जो डायबिटीज और बीपी से पर्दे के बीमारियों और उनमें खून आने का इलाज करेगी। 
मोड्यूलर लाइट से शुरू होगा बंद ओटी

न्यूरो सर्जरी विभाग में भी मोड्यूलर ओटी की लाइट की खरीद की जा रही है। कॉलेज ने इसके लिए 25 लाख रुपए की निविदा निकाली है। गैल और विधायक कोष से निर्मित यह ऑपरेशन थिएटर का निर्माण हुआ था, लेकिन ओटी लाइट नहीं होने से यह तीन साल बाद भी बंद पड़ा है।
मोबाइल ईईजी व वेंटीलेटर

न्यूरोलॉजी विभाग न्यूरोइंटरवेंशन लैब के लिए स्टरलाइजर, मोबाइल ईईजी, वेंटीटलेर की खरीद होगी। साथ ही लैब में ऑक्सीजन लाइन और फर्नीचर का कार्य भी होगा। इसके लिए 68.33 लाख रुपए खर्च होंगे। 
सटीक जीवाणु का पता लगाएंगे

माइक्रोबायोलॉजी में बैक्टिरियोलॉजी कल्चर एंड एंटीबायोटिक सस्पेबिलिटी सिस्टम की खरीद होगी। इसकी मदद से संक्रमण के लिए जिम्मेदार जीवाणु का सटीक पता चल जाएगा। इससे ही उसके उपचार के लिए एंटीबायोटिक भी तय हो जाएगा। पैथोलॉजी में बायप्सी जांच के लिए कटिंग और ब्लॉक बनाने के लिए दो मशीनों की खरीद हो रही है। इससे बायप्सी जांच का पूरा कार्य अब ऑटोमेटिक हो जाएगा।
इन उपकरणों की भी खरीद

रेडियोलॉजी विभाग में फ्लूरोस्कॉपी व पोर्टेबल एक्सरे, ब्लड बैंक के लिए दो डीप फ्रीजर 20 लाख रुपए के खरीद होगी। जेके लोन अस्पताल में गायनी विभाग के पीजी कर रहे रेजीडेंट डॉक्टरों की टीचिंग व मरीजों की सोनाग्राफी मशीन की खरीद होगी। वहीं ईएनटी, एनेस्थिसिया, डेंटल, नेफ्रोलॉजी, ऑर्थोपेडिक, मेडिसिन में भी कई महत्वपूर्ण व उपयोगी मशीनों की खरीद की जाएगी।
मरीजों के इलाज की सुविधाएं बढ़ाने के लिए उपकरणों की खरीद की जा रही है। जिनकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। उम्मीद है चार माह में मरीजों को इनका लाभ मिलने लगेगा।

डॉ. गिरीश वर्मा, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज

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