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किसान मायूस : 21 दिन बाद भी शुरू नहीं हो सकी चने की सरकारी खरीद

locationकोटाPublished: Apr 21, 2022 06:45:57 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

समर्थन मूल्य पर चने व गेहूं की खरीद का मामला1 अप्रेल से शुरू होने से सरकारी कांटे

किसान मायूस : 21 दिन बाद भी शुरू नहीं हो सकी चने की सरकारी खरीद

किसान मायूस : 21 दिन बाद भी शुरू नहीं हो सकी चने की सरकारी खरीद

सांगोद. राज्य सरकार ने एक अप्रेल से प्रदेशभर में चने के साथ सरसों व गेहूं की खरीद की घोषणा की। हालांकि सरसों व गेहूं के बाजार भाव ज्यादा होने से किसानों ने पंजीयन में रुचि नहीं दिखाई, लेकिन चना उत्पादक किसानों को समर्थन मूल्य पर बाजार से ज्यादा भाव मिलने से खुशी थी। लेकिन, 21 दिन गुजरने के बाद भी किसानों को यह खुशी अभी तक नसीब नहीं हुई।

सांगोद क्षेत्र में बने तीनों खरीद केंद्रों पर निर्धारित तिथि के 21 दिन बीतने के बाद भी तुलाई शुरू नहीं हुई। ऐसे में चने के अच्छे दाम मिलने की आस लगाए बैठे किसानों को निराशा हाथ लग रही है। सूत्रों की मानें तो हम्मालों के टेंडर नहीं होने से खरीद शुरू नहीं हो रही। हम्मालों को भी सरकारी दर से ज्यादा पैसा बाजार में मिल रहा है। ऐसे में हम्माल ठेकेदार भी सरकारी कांटों पर हम्माल उपलब्ध कराने में रुचि नहीं दिखा रहे।
उल्लेखनीय है कि इस बार क्षेत्र में फसलों का उत्पादन ठीक-ठाक रहा है। किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले इसके लिए राजस्थान राज्य क्रय-विक्रय सहकारी संघ लिमिटेड की ओर से एक अप्रेल से सरकारी खरीद शुरू होनी थी, लेकिन 21 दिन बाद भी क्षेत्र में किसी भी केंद्र पर खरीद शुरू नहीं हो सकी।
चना उत्पादक किसान परेशान
सरकार की ओर से घोषित चने का समर्थन मूल्य बाजार भाव से ज्यादा है। ऐसे में चना उत्पादक ज्यादातर किसान खरीद शुरू का इंतजार कर रहे हैं। सरकार ने चने का समर्थन मूल्य भाव प्रति क्विंटल 5250 रुपए निर्धारित किया है, जबकि बाजार में चना 41 सौ से 47 सौ रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है। सांगोद क्षेत्र में बने तीनों खरीद केंद्रों में सांगोद में 253, बपावर में 130 व कुंदनपुर में 50 चना उत्पादक किसान पंजीयन करा चुके हैं।

नहीं हो पाए अभी तक टेंडर
सूत्रों की मानें तो केंद्रों पर उपज की हैंडलिंग (गाड़ी से माल उतारना, छानना, बोरी पेक करना, थप्पी लगाना, गाड़ी में लोड करना) तथा सरकारी गोदाम तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन के टेंडर नहीं हो पाए। इसकी वजह हैंडलिंग एवं ट्रांसपोर्टेशन की सरकारी रेट कम होना है। बीते एक साल में पेट्रोल-डीजल की दर भी काफी बढ़ गई, लेकिन सरकार पुरानी दर पर ही काम कराना चाह रही है। ऐसे में ठेकेदार रुचि नहीं दिखा रहे।

चने की बिक्री के लिए ऑनलाइन पंजीयन कराया था। अभी तक भी खरीद कब होगी, इसको लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा। पैसों की जरूरत भी है, लेकिन बाजार में भाव कम होने से बेचने की मंशा भी नहीं हो रही। खरीद का इंतजार कर रहे हैं।
– हरिराम सुमन, किसान

चने की खरीद शुरू होने का इंतजार करते-करते 21 दिन बीत गए। बेटी की शादी थी, ऐसे में मजबूरन बाजार में कम दाम पर ही चने की उपज बेचनी पड़ी। अब खरीद शुरू भी हो जाए तो हम जैसे किसानों को क्या फायदा होगा।
– धनराज नागर, किसान

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