जिला- वृद्धि-गिरावट प्रतिशत में
कोटा- 35-65
बारां- 35-65
बूंदी- 27-73
झालावाड़- 63-37
अजमेर- 25-75
अलवर- 14-86
बांसवाड़ा- 30-68
बाड़मेर- 28-72
भरतपुर- 39-61
भीलवाड़ा- 58-42
बीकानेर- 40-60
चित्तौड़गढ़- 50-50
चूरू- 57-43
दौसा- 23-77
धौलपुर- 27-73
डूंगरपुर- 40-60
गंगानगर- 41-59
हनुमानगढ़- 40-60
जयपुर- 37-63
जैसलमेर- 57-43
जालौर- 35-65 झुंझुनूं- 8-92
जोधपुर- 40-60
करौली- 50-50
नागौर- 50-50
पाली- 32-68
प्रतापगढ़- 69-31
राजसमंद- 41-59
सवाई माधोपुर- 76-24
सीकर- 21-79
सिरोही- 8-92
टोंक- 74-26
उदयपुर- 43-57
कुल 41-59
कोटा- 35-65
बारां- 35-65
बूंदी- 27-73
झालावाड़- 63-37
अजमेर- 25-75
अलवर- 14-86
बांसवाड़ा- 30-68
बाड़मेर- 28-72
भरतपुर- 39-61
भीलवाड़ा- 58-42
बीकानेर- 40-60
चित्तौड़गढ़- 50-50
चूरू- 57-43
दौसा- 23-77
धौलपुर- 27-73
डूंगरपुर- 40-60
गंगानगर- 41-59
हनुमानगढ़- 40-60
जयपुर- 37-63
जैसलमेर- 57-43
जालौर- 35-65 झुंझुनूं- 8-92
जोधपुर- 40-60
करौली- 50-50
नागौर- 50-50
पाली- 32-68
प्रतापगढ़- 69-31
राजसमंद- 41-59
सवाई माधोपुर- 76-24
सीकर- 21-79
सिरोही- 8-92
टोंक- 74-26
उदयपुर- 43-57
कुल 41-59
कोटा में सतही जल स्रोत फिर भी पी रहे बोरिंग का पानी
भू-जल स्तर घट रहा है, ऐसे में बड़ी पेयजल योजनाएं सतही जल स्रोत यानी नदी और बांधों पर बनाई जा सकती हैं। इस बार कोटा संभाग में नदी और बांधों से जुड़ी पेयजल योजनाओं के लिए बजट में 5 हजार करोड़ की घोषणा की गई है। वहीं कोटा शहर में चम्बल का पानी उपलब्ध होने के बाद भी मल्टी स्टोरी और कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में बोरिंग के पानी की आपूर्ति हो रही है। बोरिंग के पानी में फ्लोराइड और कई अन्य हानिकारक तत्व शामिल होते हैं, जो स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं।
भू-जल स्तर घट रहा है, ऐसे में बड़ी पेयजल योजनाएं सतही जल स्रोत यानी नदी और बांधों पर बनाई जा सकती हैं। इस बार कोटा संभाग में नदी और बांधों से जुड़ी पेयजल योजनाओं के लिए बजट में 5 हजार करोड़ की घोषणा की गई है। वहीं कोटा शहर में चम्बल का पानी उपलब्ध होने के बाद भी मल्टी स्टोरी और कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में बोरिंग के पानी की आपूर्ति हो रही है। बोरिंग के पानी में फ्लोराइड और कई अन्य हानिकारक तत्व शामिल होते हैं, जो स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं।