खासतौर पर जब इन दिनों कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते लॉकडाउन चल रहा है इन हालातों में घर में काम करके इन महिलाओं का हूनर परिवार को संबल देने में खासी भूमिका अदा कर रहा है।
पिछले 3 सालों से सवयं सहायता समूह से जुड़ी सुचिता जैन लॉक डाउन के चलते घर पर ही हस्त निर्मित उत्पाद तैयार करने में लगी है पेपर मशिंग हुनर में पहचान कायम करने वाली सुचिता पिछले 10 सालों से इस क्रिएटिव काम को करने में लगी है और अपने हुनर से कई महिलाएं बालिकाओं को प्रशिक्षण के साथ रोजगार भी मुहैया करवा रही है वेस्ट मैटेरियल से तैयार करने वाली कई क्रिएटिव उत्पाद बनाने के साथ पर्स, कुशन कवर, मसाला उत्पाद भी तैयार करती है।
वह बताती है कि आज के दौर में घर में बनी हुई चीजों को काफी पसंद किया जाता है, इन चीजों की डिमांड ना केवल शहर में है बल्कि बाहर भी लोग इन्हें पसंद करते हैं इससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में काफी मदद मिली कई परिवार ऐसे हैं जिन का खर्चा घर में महिला के द्वारा किए जा रहे हैं पदों से चल रहा है सरकार भी इन्हें काफी प्रोत्साहन दे रही है। सामाजिक विकास प्रबंधक डॉ. हेमलता गांधी वे कहती है कि लॉक डाउन में एेसी महिलाओं को प्रमोट किया जा रहा है। महिलाएं हस्तनिर्मित डेकोरेटिव आइटम बनाकर इसे इनकम का साधन भी बना रही है।
लॉकडाउन में घर मे बनाई जा रही कई हैंडमेड चीजे
लॉकडाउन में कई बच्चे और युवा घर पर अपनी प्रतिभाओं को हैंड मेड चीजे बनाकर निखार रहें है। इन दिनो यूथ में हैंड मेड प्रोडक्ट का क्रेज बढऩे लगा है। प्रोडक्ट बनाकर इसे वैकेशन के तौर पर इस्तेमाल कर रहें है। लॉकडाउन में घर मे कई हैंडमेड चीजे बनाई जा रही है। इनमें डेकोरेटिव आइटम्स को लेकर सबसे ज्यादा काम हो रहा है। डॉ. निधि प्रजापति का कहना है कि घर में खाली समय में जिस भी चीज को सुंदर बना सकते है उसे सुंदर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ये आज से करीब 30 40 साल पुरानी ग्रामोफोन के रिकॉर्ड है जो बेकार पड़े थे पापा ने कभी फैकने नही दिए तो आज उनपर पेंटिंग करके घर को सजाने के लिए पेंटिंग बनाई है। इससे समय तो पास हो रहा है और क्रिएटिविटी भी आ रही है।
लॉकडाउन में कई बच्चे और युवा घर पर अपनी प्रतिभाओं को हैंड मेड चीजे बनाकर निखार रहें है। इन दिनो यूथ में हैंड मेड प्रोडक्ट का क्रेज बढऩे लगा है। प्रोडक्ट बनाकर इसे वैकेशन के तौर पर इस्तेमाल कर रहें है। लॉकडाउन में घर मे कई हैंडमेड चीजे बनाई जा रही है। इनमें डेकोरेटिव आइटम्स को लेकर सबसे ज्यादा काम हो रहा है। डॉ. निधि प्रजापति का कहना है कि घर में खाली समय में जिस भी चीज को सुंदर बना सकते है उसे सुंदर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। ये आज से करीब 30 40 साल पुरानी ग्रामोफोन के रिकॉर्ड है जो बेकार पड़े थे पापा ने कभी फैकने नही दिए तो आज उनपर पेंटिंग करके घर को सजाने के लिए पेंटिंग बनाई है। इससे समय तो पास हो रहा है और क्रिएटिविटी भी आ रही है।
बोरखेड़ा निवासी पुर्वाशीं गौतम बी कॉम कर रही है लॉक डाउन के चलते घर अब इन दिनो हैंड मेड मार्केट बन गया। हैंड मेड कार्ड हो या आर्टिफिशियल ज्वैलरी या वेस्ट मेटेरियल से बने वैल हेगिंग कई क्रियेटिव आइटम बनाने में लगी है। उनके साथ परिवार भी इस कला का सीखने में लगा है।