किशोरपुरा पुलिस चौकी के सामने रहने वाले अब्दुल रजाक (76) व उनकी पुत्री बारां निवासी रोशन बानो (56) ने बताया कि दोनों की आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत थी। वे 8 मई 2024 को सुधा मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल जगपुरा में ऑपरेशन करवाए गए थे। यहां नेत्र सर्जन डॉ. नुपूर शर्मा ने उनका मोतियाबिंद ऑपरेशन व लैंस प्रत्यारोपण किया। उसी रात को उनकी तबीयत बिगड़ गई। अगले दिन 9 मई को उनकी ड्रेसिंग खोली तो उन्हें दिखाई नहीं दिया। घर आए तो फिर तबीयत खराब हो गई। 10 मई को उन्होंने दादाबाड़ी में डॉ. राजीव सक्सेना को दिखाया। उन्होंने ब्लड की जांच लिखी और आंख में इंफेक्शन की बात कहते हुए फिर से उन्हें नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास भेज दिया।
वे झालावाड़ रोड स्थित सुधा अस्पताल गए। वहां उन्हें भर्ती किया गया। उसके बाद उन्हें राजस्थान आई हॉस्पिटल विज्ञान नगर भेज दिया। वहां जांचें करवाने के बाद बोला कि दोनों की आंख ही निकालनी पड़ेगी। इस पर वे कोटा आई हॉस्पिटल गए। वहां से उन्हें नीमच या जयपुर जाकर दिखवाने की सलाह दी गई। नीमच गए तो अहमदाबाद जाने की सलाह मिली। इस पर वे अहमदाबाद में डॉ. नागपाल रेटीना फाउंडेशन आई रिसर्च सेंटर गए। वहां भी इंफेक्शन बताया गया और 15 मई को दोनों की एक-एक आंख निकालनी पड़ी।
जांच में माना पोस्ट ऑपरेटिव गंभीर संक्रमण जिला कलक्टर ने मामले की गंभीरता को लेकर सीएमएचओ को जांच के आदेश दिए। सीएमएचओ ने चिकित्सा अधिकारी सर्जन डॉ. शाहीद हुसैन, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. विनीता चौधरी व निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. भुपेन्द्र राठौर की तीन सदस्यीय टीम से जांच करवाई। जांच में पाया कि दोनों मरीज को पोस्ट ऑपरेटिव एंडोफथालमिटिस (आंख का गंभीर संक्रमण) हुआ है। मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद इसकी 0.01 से 0.2 प्रतिशत तक आशंका रहती है। ऑपरेशन अनुभवी नेत्र सर्जन ने किया था। संभवत: संक्रमण ऑपरेशन में प्रयुक्त किए गए इंजेक्शन से आंख में चला गया। उच्च एंटीबायोटिक्स से संक्रमण रोकने के प्रयास किए गए, लेकिन इंफेक्शन कंट्रोल नहीं होने के कारण मरीजों का जीवन बचाने के उद्देश्य से ऑपरेशन किया गया।
जांच रिपोर्ट सौंपी इस मामले में जिला कलक्टर ने जांच के आदेश दिए थे। तीन चिकित्सकों की कमेटी से जांच करवाई। इस मामले में रानपुर थाना पुलिस ने रिपोर्ट मांगी थी, जो हमने उन्हें सौंप दी।
डॉ. जगदीश सोनी, मुय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कोई लापरवाही नहीं ऑपरेशन में घोर लापरवाही का आरोप बेबुनियाद है। आंखों में इंफेक्शन का पता चलते ही उन्हें तुरंत विशेषज्ञ आई सर्जन को दिखवाने की सलाह दी गई, लेकिन मरीज इधर-उधर घूमते रहे। ऐसे में इंफेक्शन फैल गया। बाद में ओटी की जांच करवा उसे बंद भी करवाया, लेकिन इंफेक्शन का सोर्स पता नहीं चल सका। मेडिकल बोर्ड से जांच भी करवाई गई। जिसमें भी लापरवाही जैसी कोई बात नहीं मिली है।
डॉ.नुपूर शर्मा, नेत्र सर्जन