चंबल के रौद्र रूप का गवाह बनी कोटा के नयापुरा की बस्तियां, जिसके उजड़े-बिखरे आशियाने बता रहे हैं कि मंजर कितना भयानक रहा होगा।
चंबल के रौद्र रूप का गवाह बनी कोटा के नयापुरा की बस्तियां, जिसके उजड़े-बिखरे आशियाने बता रहे हैं कि मंजर कितना भयानक रहा होगा।
कोटा कुन्हाड़ी क्षेत्र स्थित बापू कॉलोनी बस्ती में तिनकों की तरह बिखरे आशियानें...
चंबल के पानी द्वारा 4 दिनों तक मचाई भयंकर विनाशलीला के बाद कुन्हाड़ी क्षेत्र की फतेहगढ़ी बस्ती में अपना हंसता और खिलखिलाता आशियाना पूरी तरह से बिखर जाने का अफसोस करती महिला। अब उसके सामने सिर छिपाने का भी संकट आ खड़ा हुआ है।
कुन्हाड़ी क्षेत्र स्थित हनुमानगढ़ी बस्ती में स्कूल की किताबें ढूंढते बच्चे। बाढ़ में स्कूल बैग, कॉपी किताबें सब कुछ बह गया।
कोटा की नयापुरा बस्ति में बाढ़ से ढहे आशियाने की सार-संभाल में जुटे लोग। पानी के सैलब में बहा घर का दरवाजा ढूंढकर लाता युवक।
कुन्हाड़ी स्थित बापू बस्ति में बाढ़ की भेंट चढ़ गए हजारों आशियानें।
कुन्हाड़ी क्षेत्र स्थित हनुमानगढ़ी बस्ती में चंबल की लहरों में शायद कुछ बच गया हो, इसी उम्मीद में स्कूल की किताबें ढूंढते बच्चे। बाढ़ में स्कूल बैग, कॉपी किताबें सब कुछ बह गया।
चंबल किनारे बसी बस्तियों में आए सैलाब में बहे गृहस्थी के सामान संभालने लगे लोग। कूलर बह गया था जिसे लाते हुए परिजन।
शायद कुछ मिल जाए... बाढ़ का पानी उतरा तो मां-बाप के साथ बच्चे भी इसी आस में अपने घरों को लौटे। लेकिन, यहां तबाही देख आंखों में आंसू आ टपके।
तिनका तिनका जोड़कर कच्चा ही सही सिर ढकने के लिए आशियाना बनाया था बाढ़ ने सब तहस नहस कर दिया। बेपटरी हुई जिंदगी कैसे पटरी पर आए यहीं सोच रही बुजुर्ग महिला।
कोटा के कुन्हाड़ी क्षेत्र स्थित हनुमानगढ़ी बस्ती में जहां बाढ़ से सबकुछ उजड़ गया, वहीं यहां स्थित शिवलिंग जस की तस अवस्था में मिला। यहां पूजा करने आई महिलाएं हाथ जोड़कर खुद और भगवान के लिए कह रही हों कि बच गए भोलेनाथ।