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बदल रहा बाल विवाह का ट्रेड
राजस्थान में बाल विवाह ( child marriage in Rajasthan ) का ट्रेड बदल रहा है। राज्य में अक्षय तृतीया (आखातीज) और पीपल पूर्णिमा ( akshaya tritiya , akha teej, Pipal purnima ) के आसपास पुलिस व प्रशासन बाल विवाह को रोकने के लिए कमर कसता है, लेकिन बाल विवाह करने वाले लोग अब इसे गुपचुप तरीके से अन्य अबूझ सावों पर कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ परिजनों के साथ अन्य स्थान पर जाकर या दूरस्थ गांवों में होने वाले विवाह सम्मेलनों में भी बाल विवाह होने लगे हैं।
बदल रहा बाल विवाह का ट्रेड
राजस्थान में बाल विवाह ( child marriage in Rajasthan ) का ट्रेड बदल रहा है। राज्य में अक्षय तृतीया (आखातीज) और पीपल पूर्णिमा ( akshaya tritiya , akha teej, Pipal purnima ) के आसपास पुलिस व प्रशासन बाल विवाह को रोकने के लिए कमर कसता है, लेकिन बाल विवाह करने वाले लोग अब इसे गुपचुप तरीके से अन्य अबूझ सावों पर कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ परिजनों के साथ अन्य स्थान पर जाकर या दूरस्थ गांवों में होने वाले विवाह सम्मेलनों में भी बाल विवाह होने लगे हैं।
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16 जिले बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील
यूनीसेफ का मानना है कि प्रदेश के 16 जिले दौसा, जोधपुर, भीलवाड़ा, चूरू, झालावाड़, टोंक, उदयपुर, करौली, अजमेर, बूंदी, चितौडगढ़, मेड़ता-नागौर, पाली, सवाईमाधोपुर, अलवर व बारां बाल विवाह की दृष्टि से संवेदनशील है। राज्य में बाल विवाह जैसी कुरीतियां खत्म नहीं हुई। लेकिन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होने के मामले कम ही सामने आते हैं।
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ये कहता है कानून
अधिवक्ता दिनेश रावल का कहना है कि बाल विवाह करवाना या इसकी किसी भी गतिविधि में भाग लेना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। बाल विवाह कराने पर दो वर्ष की कैद व एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके लिए बाल विवाह में हिस्सा लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति दोषी माना जाता है। दो वर्ष में 52 बाल विवाह रुकवाए
अपे्रल 2017 से मार्च 2018 तक कोटा में बाल विवाह की मिली 55 शिकायतों में से 30 सही थी। मौके पर जाकर बाल विवाह रुकवाए। जबकि 25 सूचनाएं सही नहीं मिली। इसी प्रकार अपे्रल 2018 से मार्च 2019 तक 36 सूचनाएं मिली। जिनमें से 22 सही और 14 सूचनाएं गलत थी।
इस मामले में महिला अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक मनोज मीणा से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की। उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।