क्यों होते हैं ये दिन? ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि होलाष्टक के प्रथम दिन अर्थात फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है।
इस वजह से इन आठों दिन मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है, जिसकी वजह से शुरु किए गए कार्य के बनने के बजाय बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को इन आठों ग्रहों की नकारात्मक शक्तियों के कमजोर होने की खुशी में लोग अबीर-गुलाल आदि छिड़ककर खुशियां मनाते हैं जिसे होली कहते हैं।
ये रहेंगे सावे होली फाल्गुन में पूर्णिमा 9मार्च को मनाई जाएगी ओर 10 मार्च को धुलण्डी होगी। ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि 3 मार्च से होलिका अष्टक प्रारंभ हो जाएंगे। यह होलिका अष्टक 9 मार्च होलिका दहन के बाद समाप्त हो जाएंगे। होलिका अष्टक में भी मांगलिक कार्य किए जाना वर्जित है। 25 फरवरी में साल का दूसरा सबसे बड़ा अभुझ महुर्त रहेगा इस दिन फुलेरा दोज के सार्वदिक सावे होंगे
शुभ लग्न मुहूर्त फरवरी: 16, 19, 20, 21, 25, 26, 27, 28
मार्च: 1, 11, 12
अप्रैल: 2, 15, 16, 17, 20, 23, 26, 27
मई: 3, 4, 6, 7, 10, 17, 18, 20, 22
जून: 7, 10, 11, 12, 17, 29
जुलाई: 1
नवंबर: 25, 30
दिसंबर: 1, 7, 8, 9, 10, 11
मार्च: 1, 11, 12
अप्रैल: 2, 15, 16, 17, 20, 23, 26, 27
मई: 3, 4, 6, 7, 10, 17, 18, 20, 22
जून: 7, 10, 11, 12, 17, 29
जुलाई: 1
नवंबर: 25, 30
दिसंबर: 1, 7, 8, 9, 10, 11