रामपाल ने कहा, मेरी जिंदगी के 37 साल बेरंग ही निकले। होली के रंग कैसे होते हैं यह कभी नहीं देख पाया। शुक्र है भगवान का, आज हर पल होली के बिखरते रंगों की कल्पना मात्र से अब रोमांचित हो जाता हूं। जिन्दगी के 38 बसंत बेरंग बिताने वाले बूंदी के नानापुरिया गांव निवासी युवक रामपाल सैनी बताता है कि बीमारी के कारण एक साल से भी कम की अवस्था में वह दृष्टिहीन हो गया था। माता-पिता ने खूब इलाज कराया पर रोशनी नहीं आ सकी। नेत्रहीन व निर्धन होने से थोड़ा बड़ा होने पर परिवार ने भी उसका साथ छोड़ दिया।
रामपाल बताता है कि अब वह ठीक से दुनिया को देख रहा है लेकिन होली की हुड़दंग उसके कानों में ही गूंजती है। पहले हर बार एक कोने में बैठ जाता था ताकि कहीं ठोकर खाकर गिर ना जाए। लेकिन इस बार सब कुछ दिखाई देने से बहुत जिज्ञासा है। होली पर गांव में ही रहूंगा और परिवार के लोगों के साथ सभी को रंग लगाउंगा।
जगा रहा अलख
खुद का जीवन रोशन होने के बाद रामपाल अब नेत्रदान के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा हैं। उनके भांजे वीरम की शादी कुछ दिन पूर्व ही हुई है, वहीं भांजी सुगना की शादी 5 मार्च को है, इसमें वे आने वाले सभी मेहमानों को नेत्रदान के प्रति जागरुक करेंगे।