लॉकडाउन: कोटा वासियों का कचौरी प्रेम ,बाजार न सही,घर में चढ़ा रहे कढाई
lockdown कोराना वायरस के चलते लॉकडाउन ने कोटावासियों के स्वाद पर भी अंकुश लगा दिया।

कोटा. कहर के कचौरी प्रेम के किस्से किसने नहीं सुने होंगे हर दिन यहां हजारों का कचोरियां इधर बनती है और उधर खत्म हो जाती है। कढ़ाई के आसपास लोग इस तरह से निगाहें जमाई रहते हैं कि कब कचौरी बाहर निकले और उनके हाथों में आए लेकिन गत दिनों से लॉकडाउन के चलते छत की गलियों और दुकानों से कचौरी की महक नहीं उठ गई थी लेकिन इधर कचौरी शौकीनों को कचोरी की याद ने सताया तो खुद ने घर में ही कढ़ाई चढ़ानी शुरू कर दिया और अब कचरी का आनंद उठा रहे हैं।
खास पहचान और स्वाद रखता है कोटा
कोटा की पहचान कचौरी का स्वाद भी इससे अछूता नहीं। सुबह से रात तक कचोरी की दुकानों पर जमघट लगता था लेकिन अब सन्नाटा पसरा है। शहरवासी कड़ी कचौरी ओर समोसे को तरस गए है, ऐसे में अब इसके शौकीन लोग लॉक डाउन में घरों में इन्हे बनाकर खाने का लुत्फ उठा रहे है।
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कोटा कचौरी का जायका लोगो की जुबान पर छाया हुआ है, यही वजह है कि कई लोग सोशल मीडिया पर ही कचौरी फोटो के साथ इसके स्वाद को याद कर रहे है। लॉ क डाउन की स्थति में कचौरी समोसे का मार्केट भी ठप हो गया। कोराना वायरस के चलते लॉ के डाउन ने कोटावासियों के स्वाद पर भी अंकुश लगा दिया।
पाटन पोल निवासी पवन शर्मा और दीक्षिता बताते है कि हर दिन कचौरी चाहिए। वह हर सुबह कचौरी का ही करती है। कोटा की कचौरी देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है। लेकिन लॉ क डाउन की पालना करनी भी जरूरी है लेकिन रहा नही गया तो घर पर ही कचौरी बना ली और पूरा परिवार घर पर ही कचोरी के जायका का लुत्फ उठा रहे है, इसके लिए परिवार का हर सदस्य तैयारी में जुट जाता है।
शहर में 350 से 400 दुकाने
कोटा में 350 से ज्यादा दुकानों और करीब इतने ही ठेलों पर हर रोज 5 से 6 लाख से ज्यादा कचौरियां बिकती हैं। जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं।
शाहर के चाट विक्रेता चिंटू ने बताया कि लॉ क डाउन के दौरान भी सुबह से शाम तक कचौरी बना देने के लिए कई फोन आते है।
लेबर भी बैठी घर
कोरो ना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा लगाए गए लॉ क डाउन के चलते इनकी लेबर भी घर पर बैठी है। व्यापारियों को भी रोजाना भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। दुकानदारों का कहना है कि लॉ क डाउन की पालना को निभा रहे है। सभी को स्थति सामान्य होने का इंतजार है। लॉ क डाउन खुलने के बाद शहर वासियों को फिर से अपनी मनपसंद कचौरी का स्वाद मिल सकेगा।
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