सुसाइड नोट व व्हाट्स एप मैसेज से सूदखोरी का मामला साबित होने के बाद भी तत्कालीन जांच अधिकारी ने मामले में एफआर लगा दी थी। परिजनों ने न्यायालय से गुहार की तो जांच उप अधीक्षक द्वारा की गई। उन्होंने सुसाइड नोट को सही मानते हुए तीन लोगों को आरोपी पाया और इनकी गिरफ्तार के आदेश दिए। तब कहीं जाकर दो आरोपी गिरफ्तार हो सकें।
इन्द्रा विहार कॉलोनी निवासी मनीष बंसल ने बताया कि 18 फरवरी 17 को उसके भाई मनोज बंसल का शव नहर में मिला। उसकी कार फोरलेन हाइवे पर खड़ी मिली। कार में सुसाइड नोट मिला, जिसमें सूदखोर रवि मंडलोई, एसएस मलिक, लोकेश मलिक व अहमदाबाद निवासी भीखा भाई के दबाव में आकर आत्महत्या करने की बात लिखी थी। उसने मोबाइल पर व्हाट्स एप पर भी मैसेज छोड़ा था। मामले की जांच जवाहर नगर थाने में तैनात एसआई सूरज सिंह ने की और सुसाइड नोट होने के बावजूद मामले में एफआर लगा दी।परिजनों ने न्यायालय में इस्तगासा पेश कर उच्चाधिकारियों से जांच करवाने की मांग की। न्यायालय के आदेश पर जांच तत्कालीन वृत्ताधिकारी मनोज शर्मा को दी गई। उनका स्थानान्तरण होने से जांच वृत्ताधिकारी संजय शर्मा के पास आई। जांच में संजय शर्मा ने तीन आरोपियों रवि मंडलोई, एसएस मलिक व लोकेश मलिक को दोषी माना। जबकि भीखा भाई के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला। उन्होंने जवाहर नगर पुलिस को मामले में दोषियों को गिरफ्तारी के आदेश दिए, इसके बाद दो आरोपियों रवि मंडलोई व लोकेश मलिक की गिरफ्तारी हो सकी, जबकि एसएस मलिक अब भी फरार है। परिजनों ने चौथे आरोपी की भूमिका की वापस जांच की मांग की है।
वृताधिकारी संजय शर्मा ने बताया कि इस मामले में तीन आरोपियों को दोषी माना गया है। इसमें से दो जनों को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि एक अन्य की गिरफ्तारी के प्रयास कर रहे है। जबकि चौथे आरोपी के खिलाफ सबूत नहीं मिले है।