प्रदेश में इस साल नारकोटिक्स विभाग ने 1500 किसानों को सीपीएस पद्दति से अफीम की खेती के लिए 6 आरी का पट्टा दिया था। इन खेतों में अफीम की फसल में डोडे आ गए हैं। सामान्य खेती करने वाले किसानों ने डोडे में चीरा लगाना शुरू कर दिया हैए लेकिन सीपीएस पद्धति के किसानों के लिए अभी तक गाइडलाइन नहीं आई है। नारकोटिक्स विभाग ने गुरुवार को खरीद की गाइडलाइन जारी कर दी।
आठ इंच के डंठल के साथ डोडा तोडऩा होगा गाइडलाइन के अनुसार अफीम की फसल कटाई के लिए तैयार होने पर नारकोटिक्स अधिकारी और लम्बरदार की मौजूदगी में किसान आठ इंच के डंठल के साथ डोडा तोड़कर खेत में रखेगा। वह बिना डोडे को तोड़े या चूर.चूर किए उसके अंदर से पोस्तदाना अलग करेगा। डोडे के ऊपरी भाग में नुकीली चीज से छेदकर पोस्तदाना निकाला जाएगा। इसके बाद किसान शेष बचे डोडे और डंठल को अधिकारी के समक्ष बोरे में पैक कर सुरक्षित जगह रख देगा।
तोल केन्द्र पर होगी जांच तोल के समय निर्धारित तिथि और समय पर वह डोडे और डंठल को केन्द्र पर लाएगा। यहां नारकोटिक्स अधिकारी जांच करेगा कि डोडे में चीरे तो नहीं लगे। कहीं डोडों में मिलावट तो नहीं की गई। इसके बाद 500 ग्राम वजन के डोडे में सैम्पल निकालकर उसे जांच के लिए सीलबंद किया जाएगा। शेष डोडे और डंठल की विभाग तुलाई कर केन्द्र सरकार की ओर से निर्धारित राशि से भुगतान करेगा। यह राशि क्या होगीए इसकी घोषणा नहीं की गई है।
- डोडे और डंठल की तुलाई में अभी समय लगेगा। किसानों को दी जाने वाली राशि का निर्धारण किया जाएगा। इसका प्रोसेस चल रहा है।