World Tiger Day 29 July
आंकड़ों पर एक नजर-
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व
बाघ-0
बाघिन-1
शावक-0
कुल-1 सरिस्का टाइगर रिजर्व
बाघ-6
बाघिन-10
शावक-7
कुल-23 रणथंभौर टाइगर रिजर्व
बाघ-21
बाघिन-31
शावक-23
कुल-75 ….. वर्ष 2020 के संकलित आंकड़ों में बाघ-बाघिन व शावक
मुकुन्दरा हिल्स
बाघ-1
बाघिन-2
शावक-2
कुल-5
आंकड़ों पर एक नजर-
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व
बाघ-0
बाघिन-1
शावक-0
कुल-1 सरिस्का टाइगर रिजर्व
बाघ-6
बाघिन-10
शावक-7
कुल-23 रणथंभौर टाइगर रिजर्व
बाघ-21
बाघिन-31
शावक-23
कुल-75 ….. वर्ष 2020 के संकलित आंकड़ों में बाघ-बाघिन व शावक
मुकुन्दरा हिल्स
बाघ-1
बाघिन-2
शावक-2
कुल-5
सरिस्का
बाघ-6
बाघिन-10
शावक-4
कुल-20 रणथंभौर
बाघ-23
बाघिन-26
शावक-19
कुल-68 …. मुकुन्दरा पड़ा कमजोर-
बीते एक साल में प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में बाघों के कुनबों में वृद्धि हुई है। सरिस्का में संख्या 20 से बढ़कर 23 व रणथंभौर में 68 से बढ़कर 75 बाघ हो गए। लेकिन मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 6 में से पांच कम हो गए।
बाघ-6
बाघिन-10
शावक-4
कुल-20 रणथंभौर
बाघ-23
बाघिन-26
शावक-19
कुल-68 …. मुकुन्दरा पड़ा कमजोर-
बीते एक साल में प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में बाघों के कुनबों में वृद्धि हुई है। सरिस्का में संख्या 20 से बढ़कर 23 व रणथंभौर में 68 से बढ़कर 75 बाघ हो गए। लेकिन मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 6 में से पांच कम हो गए।
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मुकुन्दरा हिल्स में आए बाघ और कम होते चले गए- World Tiger Day
-3 अप्रेल 2018 में पहला बाघ टी-91 को रामगढ़ से लाकर मुकुन्दरा में छोड़ा। मुकुन्दरा में इसे एममटी-1 नाम दिया गया।
-18 दिसम्बर 2018 की रात को रणथंभौर से बाघिन टी-106 सुल्ताना आई। इसे एमटी-2 नाम दिया गया।
-9 फरवरी- 2019 में रणथंभौर से निकला बाघ बाघ टी-98 लंबी दूरी तय करता मुकुन्दरा आ गया। इसे एमटी-3 नाम दिया गया।
-12 अप्रेल 2019 को रणथंभौर से बाघिन लाइटनिंग टी-83 को लाकर मुकुन्दरा में छोड़ा गया। इसे एमटी-4 नाम दिया गया।
-2 जून 2020 को टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-2 को दो शावकों के साथ देखा गया। दूसरी बाघिन ने भी शावक दिए, पर सिर्फ एक की तस्वीर वायरल हुई।
– 23 जुलाई को टाइगर रिजर्व बाघ-एमटी-3 मृत मिला
-3 अगस्त को बाघिन एमटी-2 भी जंगल में मृत अवस्था में मिली। -इसके एक शावक का भी पता नहीं चला।
-18 अगस्त को शेष एक शावक की चिडिय़ाघर में इलाज के दौरान मौत हो गई।
मुकुन्दरा हिल्स में आए बाघ और कम होते चले गए- World Tiger Day
-3 अप्रेल 2018 में पहला बाघ टी-91 को रामगढ़ से लाकर मुकुन्दरा में छोड़ा। मुकुन्दरा में इसे एममटी-1 नाम दिया गया।
-18 दिसम्बर 2018 की रात को रणथंभौर से बाघिन टी-106 सुल्ताना आई। इसे एमटी-2 नाम दिया गया।
-9 फरवरी- 2019 में रणथंभौर से निकला बाघ बाघ टी-98 लंबी दूरी तय करता मुकुन्दरा आ गया। इसे एमटी-3 नाम दिया गया।
-12 अप्रेल 2019 को रणथंभौर से बाघिन लाइटनिंग टी-83 को लाकर मुकुन्दरा में छोड़ा गया। इसे एमटी-4 नाम दिया गया।
-2 जून 2020 को टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-2 को दो शावकों के साथ देखा गया। दूसरी बाघिन ने भी शावक दिए, पर सिर्फ एक की तस्वीर वायरल हुई।
– 23 जुलाई को टाइगर रिजर्व बाघ-एमटी-3 मृत मिला
-3 अगस्त को बाघिन एमटी-2 भी जंगल में मृत अवस्था में मिली। -इसके एक शावक का भी पता नहीं चला।
-18 अगस्त को शेष एक शावक की चिडिय़ाघर में इलाज के दौरान मौत हो गई।
International Tiger Day 2021 बूंदी के रामगढ़ में बाघ है, बाघिन की जरूरत-
बूंदी. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या और बाहर निकलते बाघों को नया आवास देने के लिए केन्द्र सरकार और वन विभाग नए टाइगर रिजर्व तो बना रही है, लेकिन इनमें बाघों की स्थिति को लेकर फिलहाल कोई प्रयास शुरू नहीं हुए। हाड़ौती की दो बाघ परियोजना में एक-एक बाघ हैं। रामगढ़ टाइगर रिजर्व हाल ही में घोषित किया है। ऐसे में यहां काफी कुछ काम करना शेष है। मुकुंदरा अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। यहां बसाए गए बाघ-बाघिनों में से अब मात्र एक ही बाघिन शेष बची है। रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में पहले से ही एक बाघ मौजूद है, जिसे बाघिन की आवश्यकता है।
बाघिन मिले तो बसे रामगढ़-
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों का बसेरा शुरू से ही रहा है। रणथम्भौर से निकलकर आने वाले बाघों ने इसे कभी खाली नहीं छोड़ा। यहां कमी हमेशा बाघिन की ही रही। बाघिन नहीं होने से यहां आने वाले बाघ एक-दो साल ठहरकर फिर से रणथम्भौर पहुंच जाते हैं। यहां आए टी-62 ने करीब दो साल यहां गुजारे, लेकिन बाघिन नहीं होने के कारण वह वापस रणथम्भौर चला गया। टी-91 को कोटा शिफ्ट किया गया था। इसके बाद टी-115 करीब एक साल से यहां रह रहा है, लेकिन बाघिन नहीं होने के कारण इसके भी वापस जाने की संभावना बनी हुई है। यदि मुकुंदरा में शेष बची एक मात्र बाघिन को रामगढ़ में छोड़ दिया जाए तो विभाग को यहां शुरुआती तौर पर बाघ-बाघिन को जोड़ा बसाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।
बूंदी. रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या और बाहर निकलते बाघों को नया आवास देने के लिए केन्द्र सरकार और वन विभाग नए टाइगर रिजर्व तो बना रही है, लेकिन इनमें बाघों की स्थिति को लेकर फिलहाल कोई प्रयास शुरू नहीं हुए। हाड़ौती की दो बाघ परियोजना में एक-एक बाघ हैं। रामगढ़ टाइगर रिजर्व हाल ही में घोषित किया है। ऐसे में यहां काफी कुछ काम करना शेष है। मुकुंदरा अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। यहां बसाए गए बाघ-बाघिनों में से अब मात्र एक ही बाघिन शेष बची है। रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में पहले से ही एक बाघ मौजूद है, जिसे बाघिन की आवश्यकता है।
बाघिन मिले तो बसे रामगढ़-
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों का बसेरा शुरू से ही रहा है। रणथम्भौर से निकलकर आने वाले बाघों ने इसे कभी खाली नहीं छोड़ा। यहां कमी हमेशा बाघिन की ही रही। बाघिन नहीं होने से यहां आने वाले बाघ एक-दो साल ठहरकर फिर से रणथम्भौर पहुंच जाते हैं। यहां आए टी-62 ने करीब दो साल यहां गुजारे, लेकिन बाघिन नहीं होने के कारण वह वापस रणथम्भौर चला गया। टी-91 को कोटा शिफ्ट किया गया था। इसके बाद टी-115 करीब एक साल से यहां रह रहा है, लेकिन बाघिन नहीं होने के कारण इसके भी वापस जाने की संभावना बनी हुई है। यदि मुकुंदरा में शेष बची एक मात्र बाघिन को रामगढ़ में छोड़ दिया जाए तो विभाग को यहां शुरुआती तौर पर बाघ-बाघिन को जोड़ा बसाने के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ेगा।
35 वर्ष पहले यहां थे 9 बाघ-
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार रामगढ़ विषधारी अभयारण्य में वर्ष 1985 में 9 बाघ थे। 1996 में इनकी संख्या घटकर 4 और 1997 में 3 रह गई। वर्ष 2014 व वर्ष 2017 में यहां एक-एक बाघ देखा गया।