वन्यजीवों के आवास में बढ़ रहे मानवीय कदम...
- मनुष्य का स्वार्थ, प्रकृति ने झेले दुष्परिणाम...

रामगंजमंडी. पर्यावरण के क्षेत्र में प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए वनों का होना जरूरी है। वनों में विद्यमान प्राकृतिकता का होना जरूरी है। हालांकि वर्तमान समय में मनुष्य के स्वार्थ के चलते प्रकृति नेकई दुष्परिणाम झेले हैं। वनों के कम होते विस्तार और वन्य प्राणियों केप्राकृतिक आवास में मानव के बढ़ते कदमों ने आज हमें प्रकृति से दूर करदिया है। यह कहना है रामगंजमंडी के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर संजय शर्मा का।
संजय गत कई वर्षों से देश के विभिन्न वन्य क्षेत्रों में जाकर वहां की प्राकृतिकविरासत और जीव जंतुओं को अपने कैमरे में कैद करते हैं। विश्व वन्यजीव दिवसपर संजय बताते हैं कि अब घरों की मुंडेर और छतों पर सुनाई देने वालीपक्षियों की आवाजें इतिहास बन चुकी है। कई वन्य प्राणी आज विलुप्त होने कीकगार पर है। हमारे आसपास अब कंक्रीट का एक ऐसा जंगल विकसित होता जा रहाहै जो हरित आवरण को धीरे धीरे निगल रहा है। हालांकि इससे मौसम चक्र भीप्रभावित हो रहा है लेकिन मनुष्य की फितरत होती है कि जब तक दैनिक जिंदगी पर कोई घटना असर ना करें तब तक हम उसे गहराई से नहीं लेते। आज के समयमें प्रकृति का महत्व मात्र पर्यटन तक सिमट कर रह गया है जबकि वन्य जीवसंरक्षण और प्रकृति को बचाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बिंदु ही जागरूकता है। प्रकृति से जुड़ाव के लिए जरूरी नहीं कि हम राष्ट्रीय उद्यानों या अभयारण्य में घूमें।
अभयारण्य का जाने महत्व
हम अपने आसपास में उपस्थित वनों, वन्य प्राणी, गलियारों और अभ्यारण का महत्व जान कर उनका संरक्षण भी करने में योगदान दे सकते हैं। हम अपने क्षेत्र में उपस्थित पशु पक्षियों, पेड़ पौधों के विषय मेंहमारे बुजुर्गों से जानकारी लेकर खुद जागरूक हो सकते हैं और समाज मेंजागरूकता पैदा कर सकते हैं।
बचानी होगी विरासत
प्राकृतिक विरासत को बचाएंगे तो भावी पीढ़ी इसे महसूस कर पाएगी। वृक्षारोपण के साथ ही आवश्यकता ऐसे पेड़ों को बचाने की भीहै जहां सैकड़ों परिंदे रहते हैं। अगर आवास की जरूरत के चलते हम पेड़ोंको काटते रहे तो ना जाने कितने जीवो को बेघर भी कर देंगे। प्रवासीपरिंदे भी जल स्त्रोतों की सफाई देखकर आकर्षित होते हैं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण समीपस्थ उंडवा का तालाब है जहां प्रतिवर्ष प्रवासी पक्षी आते हैं। जंगलोंके अंधाधुंध विनाश के कारण वातावरण में आद्र्रता बढ़ी है। इसके अलावा उनक्षेत्रों में जहां पेड़ों को हटाया जा रहा है।
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