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भारत का जलवा : लौटकर आया समय, विदेशी मांग रहे पानी…

locationकोटाPublished: Aug 07, 2019 01:14:03 am

Submitted by:

Anil Sharma

अब हम आत्मनिर्भर : रावतभाटा में बोले भारी पानी संयंत्र के मुख्य महाप्रबंधक, भारत में जिस समय पर्याप्त मात्रा नहीं बनता था भारी पानी, तो किसी देश ने नहीं की थी मदद…

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rawatbhata/kota

कोटा/रावतभाटा. भारत में जिस समय पर्याप्त मात्रा में भारी पानी नहीं बनता था, उस समय विश्व के अन्य देशों से हमने पानी मांगा, लेकिन किसी ने भी हमारी मदद नहीं की। समय का पहिया घूमा और देखिये आज हम सक्षम हैं, अब विदेशों से मांग आ रही है। भारी पानी संयंत्र के मुख्य महाप्रबंधक आरके गुप्ता ने ‘राजस्थान पत्रिकाÓ से मुलाकात में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारी पानी का निर्माण हाइड्रोजन सल्फाइड गैस व पानी का इस्तेमाल करके किया जाता है। अब अमोनियम व वाटर का उपयोग करके इसका निर्माण करने पर विचार चल रहा है। सादा पानी रावतभाटा डेम से लिया जाता है। 500 टन पानी एक घंटे में लिया जाता है। हालांकि इसमें से भारी पानी निर्माण की प्रक्रिया पूरी होने पर काफी पुन: डेम में छोड़ दिया जाता है। 35 हजार लीटर पानी में से एक लीटर भारी पानी का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि भारत ने भारी पानी उत्पादन के क्षेत्र में न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त की है, अपितु विश्व में सर्वाधिक भारी पानी उत्पादन करते हुए दक्षिण कोरिया, चीन, अमरीका जैसे विकसित देशों को निर्यात करने का गौरव भी प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि रावतभाटा में भारी पानी का निर्माण 35 साल से चल रहा है।
गैर नाभिकीय उपयोगों के बारे में दी जानकारी
इधर, परमाणु ऊर्जा विभाग एवं राष्ट्रीय पत्रकार संघ (आई) पत्रकारिता और संचार विद्यालय की ओर से ‘परमाणु ऊर्जा जीवन की गुणवत्ता में वृद्धिÓ विषय पर चल रही कार्यशाला में दूसरे दिन कई जानकारियां दी गई। भारी पानी कॉलोनी के अतिथि गृह स्थित सभागार में यह कार्यशाला हुई। इसमें भारी पानी बोर्ड मुंबई के मुख्य कार्यकारी डॉ. यू. कामाची मुदाली, जल प्रौद्योगिकी पर भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र के डॉ. हेमंत सोडा व रावतभाटा सीएसआर मुख्य अभियंता पीएन प्रसाद ने व्याख्यान दिया। इस अवसर पर आर के गुप्ता भी मौजूद थे।
भारी पानी की डिमांड बढ़ी
उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारी पानी का काफी इस्तेमाल पावर जनरेशन के लिए हो रहा है। इसके अलावा चिकित्सा व अन्य क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल होता है। टेलीकॉम क्षेत्र में भी अच्छी मांग है।

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