बिरला ने यह बातें अंतर संसदीय संघ के अध्यक्ष दुआरते पचेको से सोमवार को संसद भवन में मुलाकात के दौरान कही। बिरला ने कहा कि भारत की हजारों वर्षों से समृद्ध लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक परंपरा रही है। हमारे संविधान ने हमें समृद्धि का मार्ग दिखाया है। भारत अपनी स्वतंत्रता प्राप्ति के 75 वर्ष पूरा करने वाला है।
बिरला ने कहा कि अंतर संसदीय संघ वैश्विक समुदाय को जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, आतंकवाद और सतत विकास लक्ष्यों जैसे मुद्दों के संबंध में प्रेरित कर रहा है। भारत दो बार 1969 और 1993 में अंतर संसदीय संघ सम्मेलन का आयोजन कर चुका है । पूर्व पीठासीन अधिकारी जी.एस. ढिल्लों और नजमा हेपतुल्ला विगत में अंतर संसदीय संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं।
बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि भारत और अंतर संसदीय संघ दोनों का ही लोकतंत्र को सशक्त बनाने का समान वैश्विक दृष्टिकोण है। बिरला ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पुनर्गठन और परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए पुर्तगाल सरकार की सराहना की।
कोरोनाकाल में 154 देशों की मदद की
बिरला ने कहा कि भारत ने 154 से अधिक देशों को कोविड-19 संबंधी उपचार सामग्री की आपूर्ति की है और इसने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए कई देशों में रैपिड रिस्पांस टीमें (त्वरित कार्रवाई दल) तैनात की हैं। कोविड-19 टीकों के निर्माण हेतु अपनी क्षमता के लिए, ‘विश्व की फार्मेसी ’के रूप में उभरा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में अंतर संसदीय संघ की सकारात्मक भूमिका की।
भारत और पुर्तगाल दो मित्र देश नहीं बल्कि भाई-पचेको पचेको ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों के लिए उदाहरण और प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि भारत और आईपीयू दुनिया भर में लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाने की लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने आईपीयू के सदस्यों देशों के बीच आपसी संवाद को बढ़ावा देने तथा सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से आगे बढ़ने पर जोर दिया। पचेको ने कहा कि भारत और पुर्तगाल दो मित्र देश नहीं बल्कि भाई हैं।