चम्बल किनारे तैराकी करने वाली प्रतिभाओं को निखारने और अंतरराष्ट्रीय स्तर के तैराक तैयार करने के लिए कोटा विश्वविद्यालय ने वर्ष 2014 में 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से आठ लेन का इंटरनेशनल स्वीमिंग पूल बनाने के लिए 125 लाख रुपए का अनुदान मांगा था। आयोग ने जनवरी 2015 में प्रस्ताव को मंजूर कर छह महीने में ही स्वीकृत अनुदान की आधी राशि (62.50 लाख रुपए) भी विवि को भेज दी। पैसा मिलने के बाद विवि के संपदा विभाग को स्वीमिंग पूल की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करवानी थी, लेकिन आठ महीने तक विभाग कुंभकर्णी नींद सोए रहा।
गलती छिपाने को गिनाई खामियां अक्टूबर 2016 में जब यूजीसी ने अनुदान राशि के खर्च का ब्यौरा मांगा तब जाकर संपदा विभाग की लापरवाही का खुलासा हुआ। स्पोट्र्स कमेटी ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की तो संपदा विभाग अपनी खामियां छिपाने के लिए पूरे मामले को बिल्डिंग कमेटी में ले गया और दावा किया कि विवि में पानी का इंतजाम नहीं है, इसलिए स्वीमिंग पूल का निर्माण हुआ तो उसमें दरारें आ सकती हैं।
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लौटाना पड़ा पैसा 23 जून 2017 को यूजीसी की इंटरफेस मीटिंग में तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए विवि प्रशासन ने स्वीमिंग पूल के लिए मिले अनुदान का इस्तेमाल दूसरी मदों में करने की मंजूरी मांगी। जिसे यूजीसी ने सिरे से खारिज करते हुए ब्याज सहित पूरा पैसा वापस लौटाने का आदेश जारी कर दिया। स्पोट्र्स फंड लिस्ट में ब्लैक लिस्ट होने से बचने के लिए विवि ने तमाम दलीलें दीं, लेकिन यूजीसी ने कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया। बचाव का कोई रास्ता न देख जनवरी 2018 में कोटा विश्वविद्यालय ने अनुदान में मिले 62.50 लाख रुपए यूजीसी को वापस लौटा दिए।
फटकार के बाद चुकाया ब्याज अनुदान राशि पर किसी तरह का लाभ न कमाने की दलीलें दे विवि प्रशासन ने यूजीसी को साल भर तक ब्याज नहीं दिया। दो महीने पहले जब आयोग ने कार्रवाई करने की चेतावनी दी तब जाकर विवि प्रशासन ने आनन फानन में सप्ताह भर पहले करीब साढ़े छह लाख रुपए यूजीसी को भेजे। हालांकि विवि की साख को बट्टा लगाने और छात्रों को मिल रही सुविधा छिनने के लिए जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ विवि प्रशासन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर सका है।
स्वीमिंग पूल के लिए यूजीसी से मिला मूल अनुदान पिछले साल जनवरी में वापस लौटा दिया था। इसके बाद यूजीसी ने इसका ब्याज मांगा तो छह सात दिन पहले ब्याज के तौर पर करीब साढ़े छह लाख रुपए भी राशि भी यूजीसी को भेज दी है।