कोटा. जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश सरकार के मुख्य राजस्व का स्रोत वैल्यू एडेड टैक्स (अब जीएसटी) घट गया है। इस कारण वाणिज्यिक कर विभाग वसूली का लक्ष्य भी पूरा नहीं कर पाया है।
Jaipur tops in tax collection, Kota division at number four
कोटा.GSTजीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश सरकार के मुख्य राजस्व का स्रोत वैल्यू एडेड टैक्स (अब जीएसटी) घट गया है। इस कारण वाणिज्यिक कर विभाग वसूली का लक्ष्य भी पूरा नहीं कर पाया है। ज्यादा वैट का राजस्व सरकार को जयपुर से प्राप्त होता है। इसके बाद भिवाड़ी दूसरे पायदान पर है। कोटा संभाग चौथे नम्बर पर है।
वाणिज्यिक कर विभागकी ओर से जीएसटी लागू होने के बाद वैट वसूली की रिपोर्ट जारी की है। विभाग ने जयपुर को राजस्व संग्रहण की दृष्टि से तीन जोन में बांट रखा है। जयपुर प्रथम में तो अब तक 6.29 करोड़ का वैट वसूल हुआ है। जबकि जयपुर द्वितीय में 1967.07 करोड़ और जयपुर तृतीय में 227.94 करोड़ का वैट वसूल किया गया है। भिवाड़ी जोन दूसरे नम्बर पर आता है। यहां 169.73 करोड़ रुपए का वैट वसूल किया गया है। तीसरे पायदान पर जोधपुर आता है। यहां 100.47 करोड़ का वैट अर्जित किया गया है। चौथे नम्बर पर कोटा का आता है। कोटा मई तक 44.14 करोड़ का वैट वसूल किया गया है। उदयपुर वैट देने में कोटा से पीछे हैं। यहां मई तक 43.97 करोड़ का वैट वसूल हुआ है। अजमेर ने 1.16 करोड़ का वैट दिया है। अजमेर से ज्यादा राजस्व भरतपुर ने दिया है। यहां से अब तक 2.98 करोड़ का वैट वसूल हुआ है।