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जेईई-मेन पेपर-2 (बी-आर्क) का परिणाम घोषित…आईआईटी-एनआईटी की काउंसलिंग इस तारीख को

locationकोटाPublished: May 14, 2019 07:10:11 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई-मेन के पेपर-1 का परिणाम 29 अप्रेल को घोषित होने के बाद..

JEE-Main Paper-2 B-ARC results declared jee main cutoff

जेईई-मेन पेपर-2 (बी-आर्क) का परिणाम घोषित…आईआईटी-एनआईटी की काउंसलिंग इस तारीख को


कोटा. देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई-मेन के पेपर-1 का परिणाम 29 अप्रेल को घोषित होने के बाद मंगलवार, 14 मई को बीआर्क परीक्षा का भी परिणाम घोषित कर दिया गया। जेईई-मेन बीआर्क परीक्षा द्वारा 9 एनआईटी एवं 7 जीएफटीआई की कुल 828 सीटों पर प्रवेश मिलता है, जिसमें 9 एनआईटी की 465 एवं 7 जीएफटीआई की 363 सीटें शामिल हैं।
इस वर्ष जेईई-मेन बीआर्क परीक्षा जनवरी व अप्रेल माह में संपन्न हुई, जिसमें डेढ़ लाख से ज्यादा विद्यार्थियों ने भाग लिया। जारी किए गए परिणाम में विद्यार्थियों की आल इंडिया रैंक जनवरी व अप्रेल में जेईई-मेन बीआर्क परीक्षाओं के कुल उच्चतम एनटीए स्कोर के आधार पर जारी की गई है। एनटीए द्वारा बीआर्क की फाइनल आंसर की भी जारी कर दी गई है।

एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के कॅरियर काउंसलिंग एक्सपर्ट अमित आहूजा ने बताया कि 27 मई को होने वाली जेईई-एडवांस्ड परीक्षा के प्रवेश पत्र 20 मई को जारी किए जाएंगे। 14 जून को जेईई-एडवांस्ड का परिणाम जारी किया जाएगा। परिणाम घोषित होने के उपरान्त आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपलआईटी एवंज जीएफटीआई के कुल 97 तकनीकी शिक्षण संस्थानों की 37952 सीटों के लिए जोसा द्वारा ज्वाइंटर काउंसलिंग 21 व 22 जून से प्रारंभ होना प्रस्तावित है।
जिसमें 23 आईआईटी की 11279, 31 एनआईटी की 17967, 23 ट्रिपलआईटी की 4023 एवं 23 जीएफटीआई की 4683 सीटें शामिल हैं। यह काउंसलिंग प्रक्रिया 15 से 20 जुलाई तक चलेगी।

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कोटा. धीरे-धीरे शरीर के अंगों के शिथिल होने जाने की खतरनाक और लाइलाज बीमारी एमायोट्रोफिक लेटरल स्क्लरोसिस जिसे मूवमेंट डिस्आर्डर भी कहा जाता है। इस बीमारी के उपचार की आने वाले कुछ वर्षों में अच्छी खबर आने वाली है और कोटा जिले का बेटा ही इस खबर को दुनिया को सुनाएगा। इस बीमारी का अभी तक दुनिया को ना तो कारण पता है और ना ही इसका कोई इलाज है।
अमरीका के शिकागो शहर के नार्थ वेस्टर्न विश्व विद्यालय में पिछले कई सालों से इस बीमारी के कारणों और उपचार पर शोध चल रहा है। कोटा के पीपल्दा के पास रोन गांव निवासी डॉ. मुकेश गौतम इस शोध को कर रहे हैं। हाल में ही उन्हें इसके लिए 60 हजार डॉलर की फेलोशिप भी प्रदान की गई है।

कारण पता ना दवा काइस बीमारी में शरीर के अंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते हैं। किसी रोगी में फेफड़े, किसी में आंत, हाथ-पैर अथवा अन्य कोई अंग काम करना बंद कर देता है। बीमारी होने के बाद तीन से पांच साल में रोगी की मौत हो जाती है। मृत्यु से पहले रोगी की हालत बहुत खराब हो जाती है। बीमारी बढऩे पर उच्च चिकित्सा संस्थानों में हर अंग के काम को करने के लिए मशीनें लगानी पड़ती हैं। अभी तक इस बीमारी का कारण पता नहीं चल सका है। इसलिए इस बीमारी की दवा भी नहीं बनी है।
यह हो चुका है शोध में
डॉॅ. मुकेश गौतम ने बताया कि शरीर में मौजूद न्यूरोन्स हमारी मांसपेशियों को नियंत्रित करते हैं। जब न्यूरोन्स बीमार होने लगते हैं तो मांसपेशियों पर मस्तिष्क का नियंत्रण समाप्त होने लगता है। दिमाग में स्थित मोटर कोर्टेक्स में मौजूद अपर मोटर न्यूरॉन पर अध्ययन चल रहा है।
अध्ययन के दौरान ऐसी अनेक चीजें पहचानी गई हैं, जिनसे दवा बन सके। अब ऐसे मोलीक्यूल की तलाश की जा रही है, जो इस बीमारी को नियंत्रित कर सकें। डॉ. गौतम के अनुसार अब दूसरे चरण में वे कुछ दवाओं को प्रायोगिक तौर पर उपयोग करेंगे। उसके नतीजे आने के बाद ही शोध की दिशा तय होगी।
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