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विश्वास के मूसल से बुजुर्ग दंपति की कर दी थी नृशंस हत्या, आरोपी को फांसी ,पत्नी भुगतेगी आजीवन कारावास

locationकोटाPublished: Jul 31, 2019 08:43:38 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

elderly couple murder case विश्वासघाती दंपती में पति झूलेगा फांसी पर,पत्नी रहेगी आजीवन जेल में, बुजुर्ग दंपती की कर दी थी हत्या,कोर्ट ने माना विरल मामला

killer driver hanged in the murder case of the elderly couple

विश्वास के मूसल से बुजुर्ग दंपति की कर दी थी नृशंस हत्या, आरोपी को फांसी ,पत्नी भुगतेगी आजीवन कारावास

कोटा. एडीजे न्यायालय क्रम संख्या-1 के न्यायाधीश राजीव कुमार बिजलानी ने तलवंडी में करीब सवा पांच वर्ष पहले वृद्ध दम्पती की निर्मम हत्या के मामले को विरलतम से विरल मामला मानते हुए मुख्य आरोपी को फांसी व उसकी पत्नी व सहअभियुक्त को आजीवन कारावास व एक-एक लाख रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।
न्यायालय के पूर्व लोक अभियोजक रितेश मेवाड़ा व वर्तमान लोक अभियोजक सलीम खान ने बताया कि मामले में न्यायालय में 28 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। जिस आधार पर न्यायाधीश ने 130 पेजों के निर्णय में जगदीश कुमार माली को आईपीसी की धारा 302, 120 बी के तहत दोषी मानते हुए मृत्युदंड व 50 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। वहीं उसकी सहअभियुक्त उसकी पत्नी शिमला को इन्हीं धाराओं में आजीवन कारावास व 50 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।
इसी प्रकार धारा 460 व 120 बी के तहत दोनों को आजीवन कारावास व 25-25 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। धारा 394 व 120बी के तहत तहत भी दोनों को आजीवन कारावास व 25-25 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया। सभी सजाएं एकसाथ चलेगी। न्यायिक अभिरक्षा में अभियुक्तों द्वारा बिताई गई अवधि धारा 428 के तहत मूल सजा में समायोजित की जाएगी।
यह था मामला –
जवाहर नगर थाने में मृतक के चाचा चंद्रशेखर अग्रवाल (66) ने 15 अप्रैल को दर्ज करवाई रिपोर्ट में बताया कि सुबह 10.30 बजे उसके बेटे का फोन आया कि आपके चचेरे भाई राजेंद्र अग्रवाल (62) व उनकी पत्नी गीता देवी (60)की उनके घर के डायनिंग हॉल में लाशें पड़ी है, वह सिर से खून निकल रहा है। घर की अलमारियां खुली है व पूरा सामान बिखरा हुआ है घर से नगदी व जेवरात चोरी हो चुके हैं। जिसका मृतक दम्पती के बेटे बृजेश अग्रवाल के आने पर पता लगेगा।
घटना की सूचना मिलने से शहर में सनसनी फैल गई और तत्कालीन आईजी गोविंद गुप्ता समेत आला पुलिस अधिकारी मौका मुआयना करने पहुंचे। आईजी के निर्देश पर तत्कालीन एएसपी सिटी राजन दुष्यंत की अगुवाई में इस जघन्य हत्याकांड को खोलने के लिए विशेष टीम गठित की गई थी।
तत्कालीन एएसपी दुष्यंत ने बताया कि जांच को सबसे पहले मृतकों के करीबी व विश्वास पात्र लोगों को केंद्रित किया गया। इसमें सबसे पहला नाम चालक जगदीश का आया। पूछताछ में उसके बयानों में कई विरोधाभास सामने आने से पुलिस का शक पुख्ता हो गया। इस पर पुलिस ने जगदीश से सख्ती से पूछताछ की तो आरोपी टूट गया और उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया।

इस पर पुलिस ने हत्यारे जगदीश से उसके लूटे हुए गहने व नकदी सहित अन्य सामग्री के प्रयास किए। आरोपी जगदीश 14 अप्रेल की रात 8.30 बजे तलवंडी सी सेक्टर निवासी राजेंद अग्रवाल के घर से रवाना होकर मोटरसाइकिल से केशवपुरा पर अपने कमरे पर गया। जहां उसने शराब पी और रात करीब 10.30 बजे दोबारा अग्रवाल के घर आया। जहां उस वक्त राजेंद्र अग्रवाल कंप्यूटर पर काम कर रहे थे तथा उनकी पत्नी गीता डायनिंग हॉल में टीवी देख रही थी।
अचानक जगदीश को वहां देखकर राजेन्द्र अग्रवाल व उनकी पत्नी गीता चौक गए और रात को घर आने का कारण पूछा। इस पर उसने घर के लिए अखबार की जरूरत बताई। इस पर गीता ने उसे स्टोर रूम से अखबार लेने की बात कही। जगदीश स्टोर रूम में गया ओर वहां रखे मूसल को अखबार में लपेट कर लाया और कुर्सी पर बैठी गीता देवी के सिर पर पीछे से तेजी से वार किया। इससे गीता वहीं गिर पड़ी। पत्नी के गिरने की आवाज सुनकर पति अग्रवाल दौड़कर आए और पत्नी को उठाने के लिए झुके तो अभियुक्त ने उन पर भी पीछे से मुसल से घातक वार कर दिया।
दोनों की हत्या के बाद जगदीश ने दरवाजा बंद कर लिया और फिर मकान की सभी लाइटें बंद करा दी। करीब 90 लाख रुपए के गहने व नकदी दो बैंगों में भरकर रवाना हो गया और जाते समय वह मुसल भी बाहर फैंक गया। इसके बाद घर पहुंचकर जगदीश ने सारी बात अपनी पत्नी शिमला को बताई और रात में ही दोनों ने बैग का सारा सामान जेवर, नगदी गिने और अगले दिन जल्दी सुबह जगदीश उसकी पत्नी अपने दोस्त की कार से रवाना होकर पहले से किराए पर लिए गए कमरे पर गए।
जहां दोनों ने सारा सामान छिपा दिया। इसके बाद दोनों अपने गांव के लिए रवाना हो गए। पूछताछ में जगदीश ने स्वीकार किया कि मृतका गीता देवी द्वारा पहने हुए गहने नकली होने से नहीं उतारे। उसने पूछताछ में बताया कि वह कर्जे में चल रहा था। उसने अपनी जमीन भी गिरवी रख दी थी और उसके बेटे नरेंद्र की शादी भी करनी थी। ऐसे में उसे रुपयों की जरूरत थी, लेकिन जगह-जगह रुपए उधार मांगने के बाद भी जब काम नहीं बना तो उसने मालिक को ही निशाना बनाने की योजना बना ली।
घर का सदस्य जैसा मानते थे अग्रवाल दम्पती –

अग्रवाल दंपत्ति को जगदीश पर काफी विश्वास था। इसके चलते वह उसे परिवार के सदस्य की तरह मानते थे। इसके चलते वे घटना से करीब 2 माह पहले कहीं बाहर गए, तो घर की चाबी उसी को देख कर गए। इसी अवधि में उसने पूरे घर की रेकी कर ली थी। उसने आरोपी को 19 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया बाद में पत्नी की भूमिका होने पर भी पुलिस ने उसे सआरोपी बनाकर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इस मामले में दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 457, 460, 411, 394, 397, 120 बी में मामला दर्ज किया था।

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