इतिहासकार डॉ. जगत नारायण के अनुसार इस भवन का निर्माण महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय कि शासन काल (1889 से1940ईस्वी सन ) में करवाया। वह बताते हैं कि जहां अभी जेडीबी कॉलेज की छात्राओं के लिए छात्रावास भवन है, यह पहले यूरोपीयिंस क्लब था।इसमें मुख्य रूप से बिलियर्ड खेला जाता था। कोटा के शासक भी यहां कभी कभी बिलियर्ड खेलने के लिए आते थे। इसे अंटाघर कहा जाता था।
यूं पड़ा नाम अंटाघर
कांच के बड़ी बड़ी गोली (अंटा) के आकार की गेंद का उपयोग खेल में किया जाता है। गोल अंटे के आकार की गेंदों को स्थानीय भाषा में अंटा कहते हैं। इसलिए इस भवन को अंटाघर नाम दिया गया।
कांच के बड़ी बड़ी गोली (अंटा) के आकार की गेंद का उपयोग खेल में किया जाता है। गोल अंटे के आकार की गेंदों को स्थानीय भाषा में अंटा कहते हैं। इसलिए इस भवन को अंटाघर नाम दिया गया।
होती थी मेहमानवाजी
भवन में खेलने आने वाले अतिथियों की खासी मेहमानाजी होती थी। मेहमानों को ठहरने के लिए यहां सुंदर कक्ष है, जो अब आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। भवन में बरामदे में ऊपरी हिस्से पर विशाल बालकनी निर्मित है। आसपास काफी पेड़ पौधे हैं। महाराव भीमसिंह के शासन (1941. 1948ईस्वी सन ) तक बाहर से आने वाले मेहमानों को इसमें ठहराया जाता था।
भवन में खेलने आने वाले अतिथियों की खासी मेहमानाजी होती थी। मेहमानों को ठहरने के लिए यहां सुंदर कक्ष है, जो अब आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। भवन में बरामदे में ऊपरी हिस्से पर विशाल बालकनी निर्मित है। आसपास काफी पेड़ पौधे हैं। महाराव भीमसिंह के शासन (1941. 1948ईस्वी सन ) तक बाहर से आने वाले मेहमानों को इसमें ठहराया जाता था।