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आखिर क्यों कोटा के इस चौराहे का नाम है अंटाघर…जानिए इसके पीछे की कहानी

locationकोटाPublished: Feb 26, 2020 12:29:12 am

Submitted by:

Kanaram Mundiyar

कोटा के शासक खेलते थे बिलियर्ड, यूरोपियंस क्लब भवन है अंटाघर, अब कॉलेज की छात्राएं कर रही है अध्ययन

आखिर क्यों कोटा के इस चौराहे का नाम है अंटाघर...जानिए इसके पीछे की कहानी

आखिर क्यों कोटा के इस चौराहे का नाम है अंटाघर…जानिए इसके पीछे की कहानी

कोटा. शहर के प्रमुख चौराहों की बात होती है तो अंटाघर चौराहे का जिक्र जरूर होता है, लेकिन चौराहे का नाम अंटाघर क्यों, यह सवाल कोई करे तो अधिकतर को सोचने पर विवश होना पड़ेगा। नयापुरा स्थित जेडीबी कॉलेज परिसर स्थित अंटाघर भवन के नाम से ही चौराहे का नाम अंटाघर पड़ा। इसी के नाम से कॉलेज के पास स्थित चौराहे का नाम अंटाघर हो गया।

महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय
आधुनिक कोटा के जनक महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय ने अंटाघर भवन का निर्माण करवाया था।
इतिहासकार डॉ. जगत नारायण के अनुसार इस भवन का निर्माण महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय कि शासन काल (1889 से1940ईस्वी सन ) में करवाया। वह बताते हैं कि जहां अभी जेडीबी कॉलेज की छात्राओं के लिए छात्रावास भवन है, यह पहले यूरोपीयिंस क्लब था।इसमें मुख्य रूप से बिलियर्ड खेला जाता था। कोटा के शासक भी यहां कभी कभी बिलियर्ड खेलने के लिए आते थे। इसे अंटाघर कहा जाता था।
यूं पड़ा नाम अंटाघर
कांच के बड़ी बड़ी गोली (अंटा) के आकार की गेंद का उपयोग खेल में किया जाता है। गोल अंटे के आकार की गेंदों को स्थानीय भाषा में अंटा कहते हैं। इसलिए इस भवन को अंटाघर नाम दिया गया।
होती थी मेहमानवाजी
भवन में खेलने आने वाले अतिथियों की खासी मेहमानाजी होती थी। मेहमानों को ठहरने के लिए यहां सुंदर कक्ष है, जो अब आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण है। भवन में बरामदे में ऊपरी हिस्से पर विशाल बालकनी निर्मित है। आसपास काफी पेड़ पौधे हैं। महाराव भीमसिंह के शासन (1941. 1948ईस्वी सन ) तक बाहर से आने वाले मेहमानों को इसमें ठहराया जाता था।
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