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हाड़ौती के किसानों के लिए वरदान कोटा बैराज को लेकर गंभीर नहीं सरकार

locationकोटाPublished: Feb 28, 2018 05:04:36 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

पर्याप्त बजट नहीं मिलने के कारण कोटा बैराज का जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा। सरकार केवल मरहम-पट्टी का पैसा देकर भूल जाती है।

Kota Barrage is not getting enough budget
कोटा .

हाड़ौती के किसानों के लिए वरदान और कोटा के कण्ठों को तर करने वाले कोटा बैराज को लेकर शायद सरकार गंभीर नहीं है। बूढ़े बांध को उपचार की दरकार है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जाता। पर्याप्त बजट नहीं मिलने के कारण जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा। सरकार केवल मरहम-पट्टी का पैसा देकर भूल जाती है। जबकि जल संसाधन विभाग पिछले दस साल से बजट की मांग कर रहा है।
 
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चम्बल नदी पर चार बांध बने हुए हैं। बैराज का निर्माण 1953 में शुरू हुआ था। शिलान्यास का पत्थर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने रखा। 1960 में इसका कार्य पूरा हुआ। बैराज की भराव क्षमता 3961 मिलियन घन फ ीट है।
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12 करोड़ के प्रस्ताव भेजे
जल संसाधन मंत्री रामप्रताप मंत्री ने विधानसभा में कहा कि बैराज की विशेष मरम्मत एवं पुलिया की मरम्मत के लिए 12.02 करोड़ रुपए के प्रस्ताव केन्द्र सरकार की ‘बांध पुनरूद्धार एवं सुधार परियोजना के तहत तैयार कर भेजे हैं। स्वीकृति के बाद कार्य करवाए जाएंगे।
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विधानसभा में भी उठा मसला
विधायक संदीप शर्मा ने विधानसभा में भी कोटा बैराज के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध कराने का मसला उठाया। विधायक का कहना था कि बांध की मरम्मत के लिए जितने बजट की दरकार है, उसके मुकाबले काफी कम मिलता है। ऐसे में कैसे बांध का जीर्णोद्धार होगा।
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बांध के गेटों की तथा रस्सों की मरम्मत तक नहीं हुई है। बैराज की पुलिया काफी क्षतिग्रस्त है। इससे बैराज की सुरक्षा को भी खतरा है। इस पर जल संसाधन मंत्री रामप्रताप ने कहा है कि बांध के गेटों, लोहे के रस्से, तार आदि की आवश्यक मरम्मत समय-समय पर प्राथमिकता से करवाई जाती है। वर्तमान में सभी गेट कार्यशील हैं।
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