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ये हैं कोटा कोचिंग के प्रमुख हॉस्टल, हालात देख यहां रहने से कर लेंगे तौबा, देखिए तस्वीरों में…

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6 years ago
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मधुरम हॉस्टल मौके पर ही बनाने लगे रिकॉर्ड पत्रिका टीम मधुरम हॉस्टल पहुंची। यहां हॉस्टल इंचार्ज एससी जोशी से टीम मिली। उन्होंने बताया कि हॉस्टल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। स्टूडेंट्स के आने-जाने का समय रिकॉर्ड होता, लेकिन वार्डन व अन्य कर्मचारियों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। उन्होंने तुरंत रजिस्टर निकालकर रिकॉर्ड बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि किसी ने आज तक हॉस्टल व रिकॉर्ड चैक नहीं किया।

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वंदना हॉस्टल एसोसिएशन की सूची में नहीं नाम एसोसिएशन की सूची में इस हॉस्टल को गल्र्स हॉस्टल दर्शा रखा है। जब टीम हॉस्टल पहुंची तो यहां ब्यॉज हॉस्टल संचालित मिला। हॉस्टल संचालक धनराज नागर ने बताया कि तीन साल से हॉस्टल संचालित है। स्टूडेंट्स वेलफेयर सोसायटी में उनका हॉस्टल पंजीकृत है। बावजूद एसोसिएशन ने सूची अपडेट क्यों नहीं की, इसका पता नहीं है।

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राधेय हॉस्टल सुरक्षा के लिए नहीं मिला गार्ड इस हॉस्टल में 35 छात्राएं रहती हैं, लेकिन एसोसिएशन की सूची में गल्र्स व ब्यॉज रहने का कोई प्रूफ नहीं है। हॉस्टल मालिक एसके नागर की पत्नी निर्मला बाई ने बताया कि छात्राओं के लिए सब्जी बाहर से आती है और चपाती हॉस्टल में बनती है। सूची में नाम दर्ज क्यों नहीं कर रखा, इसका पता नहीं है। यहां सुरक्षा गार्ड भी नहीं था।

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अंश विला हॉस्टल वार्डन छुट्टी पर, सही नहीं मिलता खाना 35 छात्राओं के इस हॉस्टल में वार्डन छुट्टी पर बताई गई। उनकी जगह दूसरी महिला वार्डन नहीं मिली। मालिक विकास शर्मा भी नहीं मिले। उनकी जगह पर साइट मैनेजर जसवंत सिंह व गार्ड बीरम चंद मिले। उन्होंने बताया कि वार्डन छुट्टी पर है। उनकी जगह कोई महिला वार्डन नहीं है। छात्रा अनुष्ठा ने बताया कि हॉस्टल में संचालित मैस से उन्हें खाना भी सहीं नहीं मिलता।

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माहेश्वरी हॉस्टल रजिस्टर व दस्तावेज नहीं बालचंद मोदी माहेश्वरी छात्रावास में टीम पहुंची तो यहां कार्यरत कर्मचारी ने बताया कि यह हॉस्टल तीन-चार साल से संचालित है। वार्डन के बारे में पूछा तो बताया कि वार्डन मुकुट नागर हंै, फिर बताया कि वार्डन बाजार गए हैं। कर्मचारियों की उपस्थिति रजिस्टर के बारे में पूछा तो कोई रजिस्टर नहीं बताया। कोई दस्तावेज भी नहीं बताए गए।

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डीएल रेजीडेंसी वार्डन का अता-पता नहीं डीएल रेजीडेंसी हॉस्टल में भी दो दर्जन से अधिक छात्राएं रहती हैं, लेकिन यहां भी महिला वार्डन नहीं मिली। उनका अता-पता नहीं था। टीम इस हॉस्टल में पहुंची तो यहां एक महिला ने वार्डन का नाम सीमा बताया। बाद में उसने अपना नाम सिमरन बताया। उससे वार्डन के आने के बारे में पूछा तो उसने शाम तक आने की बात कही। बाद में सख्ती से पूछा तो उसने बताया कि उसकी परिचित वार्डन उसे छोड़कर बाहर गई है। कल तक आएगी। यहां सुरक्षा गार्ड भी नहीं था। इन छात्राओं की सुरक्षा भगवान भरोसे ही दिखी। इस जगह जानकारी मिली कि हॉस्टल मालिक भी कभी-कभार ही आते है। यहां कार्यरत कर्मचारियों की भी जानकारी नहीं मिली।

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घर पर बात करने से दूर होता तनाव महाराष्ट्र की छात्रा निकिता पाण्डेय, करौली की टीना शर्मा, उत्तरप्रदेश की ज्योति प्रिया व मध्यप्रदेश के गुना की मुस्कान रघुवंशी ने बताया कि पढ़ाई को लेकर थोड़ा तनाव रहता है, लेकिन जिस समय तनाव में रहते हैं, उसे दूर करने के लिए माता-पिता से फोन पर बातचीत करते हैं। इससे तनाव दूर हो जाता है। उन्होंने बताया कि हॉस्टलों में उन्हें घर जैसा भोजन नहीं मिलता। हम मन मसोस कर रह जाते हैं।

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