कोई गरीब असहायों में खाना बांट रहा है, तो कोई लोगों को संक्रमण से मुक्त रखने के लिए मुफ्त में मास्क और सैनिटाइजर बांट रहे हैं। ऐसे ही कुछ नजारे देखने को मिले कोटा के जैल में, यहां कैदी लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ लड़ाई लड़ते दिखे। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव की जंग में कोटा केंद्रीय कारागृह कैदी भी पीछे नहीं।
कारागृह में 11 मशीनों पर 15 बंदियों द्वारा इन दिनों सूती कपड़े से मास्क बनाया जा रहे है। इस बीच जेल प्रशासन भी बंदियों को लेकर पूरी सुरक्षा बरत रहा है। केंद्रीय कारागार अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया की समाज की सेवा को तत्पर बंदियों ने समाज को कोरोना वायरस से बचाने का बीड़ा उठाया है। बंदी जी तोड़ मेहनत कर जेल की उद्योग शाला में अधिक से अधिक संख्या में मास्क बना रहे हैं ।
इसे बनाने के लिए बंदियों को बाकायदा विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है । कम कीमत गुणवत्ता में बेहतर होने तथा बार-बार धोकर प्रयोग किए जा सकने की विशेषता के कारण यह मास्क सरकारी कार्यालयों में पसंद किए जा रहे हैं । और अब आलम यह है कि प्रतिदिन इसकी मांग में इजाफा होता जा रहा है।
कारागृह द्वारा यह मात्र ₹8 में उपलब्ध करवाया जा रहा है। केंद्रीय कारागृह कोटा से अब तक जिला न्यायालय को 70 ,पुलिस अधीक्षक कार्यालय कोटा शहर को 200 ,पुलिस अधीक्षक कार्यालय ग्रामीण को 500 ,भारतीय रेलवे को 1000 ,नगर निगम कोटा को 250 ,राजकीय अनुसूची अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास कोटा को 100, राजकीय भीमराव अंबेडकर छात्रावास कोटा को 10 ,राजकीय बालिका ग्रह को 50 ,वुमन हेल्पलाइन कोटा को 40 मास्क की आपूर्ति की गई।
इसी के साथ कोटा मंडल के कारागृह में मास्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं इनमें महिला बंदी सुधार ग्रह कोटा ,रामगंज मंडी , झालावाड़ ,भवानीमंडी, बूंदी ,नैनवा को , उपलब्ध करवाए गए हैं अब तक बंदियों द्वारा तैयार 6000 से अधिक मास्क विभिन्न सरकारी महकमों को दिए जा चुके हैं । तथा प्रतिदिन लगभग 600 मास्क तैयार किए जा रहे हैं।
केंद्रीय कारागार अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया कि मास्क बाजार में कई गुना दामों में बेची जा रहे हैं यहां तक कि इनकी जमाखोरी एवं कालाबाजारी तक हो रही है ऐसे में निर्णय लिया गया कि बंदी इस विकट स्थिति में मास्क तैयार करेंगे ताकि लोगों को बेहतर मदद मिल सके इसी के साथ बंदी अपना आचरण तो सुधारी रहे हैं समाज की सेवा को भी तत्पर है
जेल में बंद कैदी कहीं बाहर नहीं जा सकते। ऐसे में उन्हें संक्रमण से बचाना जरूरी है। इसके लिए जेल परिसर की धुलाई कराई गई है। साथ ही सभी बंदियों को दिन में चार-पांच बार हाथ धोने की सलाह दी गई है। इसके अलावा हाथ नहीं मिलाने, गले नहीं लगने व दूर रहकर ही बात करने सहित एहतियात के तौर पर कई कदम उठाए गए हैं।
यह सभी बातें जेल वाणी के लिए लगे लाउड स्पीकरो के माध्यम से दिन में चार पांच बार दोहराई जा रही है। ताकि बंदी सुरक्षित रहें। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जेल में बंदियों द्वारा सूती कपड़े का मापदंड के अनुसार मास्क बनाया जा रहा है। मास्क बनाने से पहले कपड़े को धोया जाता है। वह मास्क बनने के बाद सैनिटाइजर किया जाता है। इसके बाद ही उसका प्रयोग किया जाता है।