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संसद में छाई Kota Kachori पीएम मोदी से लेकर कई सेलिब्रिटी भी है इसके दीवाने

locationकोटाPublished: Jun 20, 2019 06:38:19 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

जिस कोटा कचौरी का जिक्र Lok Sabha में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने किया, जानते हैं आखिर क्या है उस Kota Kachori की खासियत…

kota kachori is so famous around the India

संसद में छाई Kota Kachori पीएम मोदी से लेकर कई सेलिब्रिटी भी है इसके दीवाने

कोटा से MP Om Birla के लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद से ही लाखों लोग Internet पर लोग कोटा के बारे में सर्च कर रहे हैं । सदन में Congress के नेता अधीर रंजन ने बुधवार को सभापति ओम बिरला को बधाई देते हुए कोटा की कचौरी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आपके शहर की कचौरी पूरे देश में मशहूर है, अब आपका दायित्व है कि सदन में खिचड़ी जैसे माहौल न बने बल्कि आप इसे कोटा की कचौरी की तरह स्वादिष्ट बनाइए । इसके बाद से कई लोगों में Kota Kachori और इसके जायके को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है। तो आइए जानते हैं आखिर क्या खास है इस कचौरी में जिसके दीवाने पीएम मोदी से लेकर कई सेलिब्रिटी भी है ।
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कोटा की कचौरी का स्वाद भी कुछ ऐसा ही है। चटपटी, हींग की खुशबू में डूबी और एक दम खस्ता। आइए जानते हैं कि लोग इसके दीवाने क्यों हैं। पिज्जा-बर्गर की एंट्री के बावजूद कचौरी की डिमांड क्यों बढ़ रही है। पूरा देश भले ही पिज्जा और बर्गर का दीवाना हो, लेकिन कोटा के लोगों की जुबान पर कोटा कचौरी का जायका ही छाया हुआ है।
Urad dal से बनने वाली इस खास कचौरी के जायके का सफर रियासतकाल में शुरु हुआ जो आधुनिकता की निशानी समझे जाने वाले खाने-पीने पर भी भारी पड़ गया। इसका अंदाज इसी बात से लगा सकते हैं कि कोटा में 350 से ज्यादा दुकानों और करीब इतने ही ठेलों पर हर रोज 6 लाख से ज्यादा कचौरियां बिकती हैं। जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं। कई देशों की जनसंख्या कोटा कचौरी की खपत से भी कम है।
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IIT में दाखिले की गारंटी माने जाने वाले kota coaching संस्थानों की पूरे देश में धाक है। हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चे पूरे देश से यहां पढऩे आते हैं। इन बच्चों को लजीज खाना परोसने के लिए तमाम नामी रेस्टोरेंट और Fastfood कंपनियों ने कोटा में अपनी दुकानें खोली, लेकिन इन सबके बावजूद कोटा की कचौरी को नहीं पछाड़ सके। आलम यह है कि मेट्रो सिटीज से आने वाले बच्चे भी कोटा की कचौरी के दीवाने हो गए। शायद ही कोटा की कोई ऐसी गली होगी जिसमें कचौरी की दुकान ना हो। जहां सुबह आठ बजे से लेकर रात को आठ बजे तक कचौरी खाने वालों की कतार ना लगी हो।

पूरी दुनिया में बनाई पहचान
कोटा की कचौरी ने देश ही नहीं दुनिया में अपनी खास पहचान बनाई है। अल्फांसो के आम और दार्जलिंग टी की तरह ही कोटा की कचौरी भी ‘ज्योग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन’ के तौर पर दुनिया भर में मशहूर है। उड़द की दाल में हींग के तड़के के साथ तली जाने वाली इस खास कचौरी को बौद्धिक संपदा प्रकोष्ठ ने ‘कोटा कचौरी’ के नाम से बौद्धिक संपदा के अधिकार में खास तौर पर दर्ज किया है।
जायके का तोड़ नहीं
उड़द की दाल में हींग, गर्म मसाले और खड़ी मिर्च डालकर तैयार होने वाली इस कचौरी के जायके का कोई तोड़ नहीं है। एक कचौरी का वजन करीब 80-85 ग्राम होता है। जिसमें करीब 55-60 ग्राम दाल और मसालों का मिक्सचर भरा जाता है। तेज आंच पर सेकने से एक दम खस्ता हो जाती है। जिसे लोग चटनी के साथ बड़े चाव से खाते हैं।
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