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मां छुटी, गरीबी ने जकड़ा , फिर भी हौसले से जंग जीती विक्रम ने, अब बनेगा दूध बेचने वाले का बेटा डॉक्टर,

locationकोटाPublished: Jun 29, 2019 07:06:17 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

बारां जिले के तिसाया गांव के विक्रम ने नीट में हासिल किए 625 अंक..ऐसे पाया मुकाम

kota news Vikram Tisya of Baran village to become doctor

मां छुटी, गरीबी ने पकड़ा, फिर भी हौसले से जंग जीती विक्रम ने, अब बनेगा दूध बेचने वाले का बेटा डॉक्टर,


कोटा. प्रतिभा पानी की तरह होती है जो अपना रास्ता तलाश ही लेती है। परिस्थितियां प्रतिकूल हों तो भी रास्ता बन जाता है। विपरीत परिस्थितियों में कुछ ऐसे ही अपनी प्रतिभा के दम पर मुकाम हासिल किया है एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के छात्र विक्रम गुर्जर ने।
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पारिवारिक परिस्थितियां प्रतिकूल होने के बाद भी विक्रम ने पढ़ाई के प्रति अपनी एकाग्रता जारी रखी और देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट में 625 अंक प्राप्त किए। ओवरआल रैंक 3359 तथा ओबीसी रैंक 1008 रही। अब जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करना चाहता है। इसके बाद न्यूरोलॉजी में कॅरियर बनाने की इच्छा है।

विक्रम ने बताया कि परिवार बारां जिले के तिसाया गांव में रहता है। बीपीएल BPL श्रेणी में परिवार है तथा मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी पिता चौथमल गुर्जर नरेगा में मजदूरी करते हैं। इसके अलावा अन्य दिनों में दूध बेचने का काम करते हैं। मां विद्या बाई का निधन तीन साल पहले सड़क दुर्घटना में हो गया था।
वो सीताबाड़ी Sitabari मेले Fair में गईं थीं और वापस लौटते समय बाइक और ट्रक का एक्सीडेंट हो गया, इस एक्सीडेंट accident में दो की मौत हुई, जिसमें मां Maa और एक गांव के ही दूसरे भइया थे। मां के निधन से परिवार को बड़ा आघात लगा और पूरा परिवार अस्त-व्यस्त हो गया।
मां के बाद अब 85 वर्षीय दादी घर का काम करती हैं। हम लोग भी उनका थोड़ा बहुत साथ देते हैं। छोटा भाई इस बार दसवीं की परीक्षा देगा। परिवार में संपत्ति के नाम पर दूसरे गांव में कुछ जमीन land है, जिससे खाने का खर्च चल जाता है। घर में दो भैंसे हैं, जिनका दूध बेचकर ही गुजारा चलता है।

विक्रम ने बताया कि दसवीं तक गांव के ही सरकारी स्कूल Government school में राजकीय माध्यमिक विद्यालय तिसाया में पढ़ा। यहां 93.50 प्रतिशत अंक हासिल किए। शिक्षकों ने प्रेरित किया तो साइंस बॉयलोजी Science biology ली और अधिक मेहनत कर डॉक्टर बनने की ठानी। बारां आकर पढ़ा और 94.80 प्रतिशत अंक प्राप्त किए।
शिक्षकों की सलाह पर कोटा में एलन में पढ़ाई करने की सलाह दी। एलन आकर मिला तो मुझे मेरी प्रतिभा के आधार पर रियायत दी गई। मुझे लगभग निशुल्क प्रवेश दिया गया। यहां आकर बहुत कुछ बदलाव महसूस किया। गांव के ही एक दोस्त के साथ एक ही कमरे में रहकर पढ़ाई की।

एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में पढ़ाई के दौरान टीचर्स और स्टाफ का जो सपोर्ट मिला वो जीवनभर याद रहेगा। यहां पढ़ाई करने में इतना मजा आता था कि समय कब बीत जाता पता ही नहीं चलता। पूरा साल हो गया और परिणाम भी अपेक्षा के अनुरूप रहे।

मैं अपने परिवार की स्थिति में सुधार करना चाहता हूं। पिता और दादी इतनी मेहनत कर मुझे पढ़ा रहे हैं। आधे कच्चे-पक्के मकान में गुजारा कर रहे हैं। पिछली बरसात rain में मकान कट भी गया था। वहीं छोटे भाई की पढ़ाई के लिए भी पापा पूरी कोशिश कर रहे हैं।

– निर्धन परिवारों की प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट Allen Carrier Institute सदैव प्रयासरत है। हर तरह से इनकी मदद की जाती है। विक्रम गुर्जर जैसे विद्यार्थी ही नए भारत की तस्वीर हैं, इनके माध्यम से ही शिक्षा का उजियारा गांव-गांव तक पहुंच रहा है। – नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट
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