विदेशों में छाया कोटा पेंटिंग्स का जादू, अमरीका, जर्मनी और कनाडा हुआ दीवाना
Publish: Apr, 17 2018 11:17:17 AM (IST)

कोटा कलम का जादू गोरों के दिलो-दिमाग पर भी छाने लगा है। अमरीका और जर्मनी से लेकर आस्ट्रेलिया और कनाडा तक बिखरने लगे हैं।
कोटा . कोटा कलम का जादू गोरों के दिलो-दिमाग पर भी छाने लगा है। सोने-चांदी के बरक में लिपटे मिट्टी, पत्थर और पेड़ पौधों से निकले रंग अमरीका और जर्मनी से लेकर आस्ट्रेलिया और कनाडा तक बिखरने लगे हैं। कूंची की बारीक अठखेलियों से जन्मी दैवीय लीलाएं ही नहीं, महारावों की वीरगाथाएं भी विदेशी गैलरियों की रौनक बढ़ा रही।
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कोटा चित्रशैली सालों से कला के पारखियों के निजी संग्रह का हिस्सा रही हैं, लेकिन अब इसका दायरा विदेशी आर्ट गैलरियों तक बढ़ता जा रहा। भरतीय कला और दर्शन की बारीकियां समझने न्यूयार्क से चले डेविड और उनकी पत्नी पिछले साल कोटा आ पहुंचे।
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यहां उनकी मुलाकात कोटा चित्रशैली में नई जान फूंक रहे चित्रकार शंभू सिंह चौबदार से हुई। चार घंटे तक दोनों उनकी आर्ट गैलरी में टंगे चित्रों में ही खोए रहे और जब गए तो कोटा कलम से सजी 5 मिनीएचर पेटिंग्स साथ लेते गए। जाते-जाते डेविड ने बताया कि न्यूयार्क में उनकी आर्ट गैलरी है, जहां अभी तक सिर्फ बूंदी चित्रशैली की पेंटिंग्स ही नजर आती थी, लेकिन पहली बार कोटा चित्रशैली भी उस रौनक का हिस्सा बनेगी।
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खास है यह पसंद
चौबदार बताते हैं कि अमरीका वासियों को हिंदू सभ्यता से जुड़े चित्र खासतौर पर भा रहे हैं। सबसे ज्यादा मांग हिंदू देवी-देवताओं और ग्रंथों पर आधारित चित्रों की है। विदेशी ग्राहक बकायदा बताते हैं कि उन्हें श्रीमद भागवत, पुराणों और रामायण की किस घटना की पेटिंग्स बनवानी हैं। सबसे ज्यादा मांग श्रीकृष्ण लीला, नारद, राजा परीक्षत के कथा सुनते समय, सीता हरण, भगवान राम के राज्याभिषेक के साथ-साथ वामन अवतार और देवी सप्तशती के चित्रों की आ रही है। कोटा महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय के शिकार चित्र विदेशी कला प्रेमियों की दूसरी पसंद हैं।
सोने चांदी का होता है इस्तेमाल
कोटा कलम से बने चित्रों में हंसराज, हिंगुल, हराभाटा, हिरमीय, लाजव्रत, गोगली और हरताल जैसी वनस्पतियों के साथ-साथ मिट्टी और पत्थरों की घिसाई करके बने प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। इनके ऊपर सोने और चांदी से तैयार रंगों का बारीक काम किया जाता है। बारीक चित्रकारी के साथ सोने-चांदी की आभा चित्रकारी में जान फूंक देती है।
चल पड़ा सिलसिला
न्यूयार्क में रह रहे एनआरआई कृष्ण ? मुरारी को डेविड की आर्ट गैलरी का पता चला तो वे कोटा पेटिंग्स को देखने वहां जा पहुंचे, लेकिन डेविड ने बताया कि पांचों पेटिंग्स आते ही बिक गईं। अय्यर अब आतुर हो उठे और कोटा आकर उन्होंने जब कला की बारीकियों को देखा तो भौंचक रह गए। उन्होंने हाथों-हाथ सात पेटिंग्स खरीद लीं। इसके बाद तो यह सिलसिला चल पड़ा। एसएस चौबदार आर्ट गैलरी के संरक्षक दुर्गा सिंह चौबदार बताते हैं कि कोटा चित्रशैली ने अमरीकियों के दिलो-दिमाग पर ऐसी छाप छोड़ी है कि अब तो सीधे ऑनलाइन ऑर्डर आने लगे हैं। तीन महीने पहले ही 30 मिनीएचर पेटिंग्स न्यूयार्क भिजवा चुके हैं।
अब जर्मनी से आई मांग
चित्रकार शंभू चौबदार बताते हैं कि कनाडा, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया तक कोटा चित्रशैली की धूम होने के बाद इस बार राजा की सवारियों, शिकार और कृष्ण लीलाओं के जर्मनी से 36 और इटली से 5 पेटिंग्स का ऑर्डर आया है। जो कोटा चित्रशैली को फिर से जीवंत करने वालों के लिए बड़ी खबर है।
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