कोटा के आसपास जितने भी पिकनिक स्पॉट है वहां प्रशासन की तरफ से अभी तक न तो सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और न ही मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई गई है। तभी तो स्थानीय प्रशासन ने पिकनिक स्पॉट पर अभी तक सुरक्षा के लिहाज से जाब्ता तैनात किया है ना गोताखोर। ऊपर से वाहन लेकर गए और टायर पंचर हो गया तो गाड़ी को खींचना पड़ सकता है। चोटिल हुए तो कोई प्राथमिक उपचार भी नहीं मिलने वाला। एेसा ही एक पिकनिक स्पॉट है गैपरनाथ महादेव, जहां हादसों को रोकना तो दूर उनके होने के बाद मदद करने वाला कोई नहीं मिलता।
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पुलिस का एक जवान भी नहीं गैपरनाथ शहर से करीब 22 किमी दूर रावतभाटा रोड के पास स्थित है। चंबल की गहरी कंदराओं के बीच यहां महादेवजी का प्राचीन मंदिर है जहां बारह महीने झरना बहता है। बारिश में यहां हर तरफ हरियाली ही हरियाली हो जाती है। यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग तो ठीक है, लेकिन बीच में दो जगह पर नाले हैं जो तेज बारिश में मार्ग अवरुद्ध कर देते हैं। यहां रविवार दोपहर 12.30 बजे पुलिस का एक भी जवान मौजूद नहीं था। लोग बेखौफ होकर फिसलन भरी पहाडि़यों पर फोटोशूट करवा रहे थे और सेल्फी ले रहे थे। जबकि ऐसा करते समय यहां कई जानलेवा हादसे हो चुके हैं।
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पेड़ों की शाखाओं से झूलने का स्टंट कुछ लोग मंदिर से और नीचे जाना चाहते थे, लेकिन यहां रास्ता बंद था। एेसे में लोग सीढि़यों के किनारे बह रहे झरनों के नीचे नहाने का आनंद ले रहे थे। यहां करीब 10-12 युवक फिसलन भरी चट्टानों पर चढ़कर नहा रहे थे। इतना ही नहीं ऊपर से आ रहे झरनों के बीच पेड़ों की शाखाओं से झूलने का स्टंट भी चल रहा था। एेसा करीब एक घंटे तक चला, लेकिन उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था। उन्हें देख अन्य लोग भी हादसे की आशंका को लेकर घबरा रहे थे। दो सुरक्षाकर्मी गैपरनाथ में सबसे ऊपर एवं एक नीचे मंदिर में था। जोकि सिर्फ बंदर भगाने का काम कर रहे थे।
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हाथ नहीं पकड़ते तो सीधे नीचे जाती एक परिवार दर्शन के लिए आया। फिर मुख्य मंदिर की छत पर जा चढे़। जहां काफी ऊंचाई से 12 महीने झरना गिरता है। इस वजह से पूरी छत पर काई है। लोगों ने पैरों में जूते-चप्पल तक नहीं पहने हुए थे। इसी दौरान एक युवती फिसल गई साथ खड़ी महिला का ध्यान उसकी ओर गया तो हाथ पकड़कर खींच लिया। वरना युवती के पास पकडऩे के लिए कोई सहारा नहीं था और वह सीधे 30 फीट नीचे जाती।
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हो चुकीं है कई मौत 2008 में एक हादसे के बाद यह स्थान देशभर में चर्चा का विषय बन गया। मंदिर के रास्ते की सीढि़यां ढहने से कराई में 35 महिलाएं व 20 बच्चे फंस गए थे। इन्हें मुश्किल से बाहर निकाला गया था। घटना में एक जने की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं हर साल यहां होने वाले हादसों में कई लोगों की जान जाती है सो अलग।
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गेपरनाथ जा रहे हैं तो इन बातों का रखें ध्यान – अपनी सुरक्षा का खुद रखें ख्याल, अकेले नहीं जाएं पिकनिक स्पॉट पर। फैमिली या मित्र मंडल के साथ ही निकले। – प्राथमिक उपचार के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए कुछ आवश्यक दवाइयां अपने साथ लेकर जाएं।
– गाड़ी पंक्चर हो जाए तो रथ कांकरा जाना पड़ता है जो करीब ढाई किमी है। इसलिए पूरी तैयारी के साथ अपने वाहन से जाएं। – खान-पान के लिए आवश्यक सामग्री साथ लेकर जाएं, यहां होटल, रेस्टोरेंट तो दूर की बात चाय की दुकान तक नहीं है।