एमबीएस अस्पताल पहुंचे जिला कलक्टर ने खुद बंद किया
खुला सीवरेज चेम्बर ,अधिकारियों के फूले हाथ-पांव रणथंभौर टाइगर रिजर्व में इलाके पर कब्जा जमाने के लिए महज तीन साल के बाघ वीरू यानी टी-109 को अपनी जान गंवानी पड़ी। हालांकि उसकी मौत से तीन दिन पहले ही कोटा के वन्यजीव प्रेमियों ने आपसी मुकाबले में फंसे रणथंभौर के बाघों को बचाने के लिए उन्हें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) में शिफ्ट करने की मांग की थी। राजस्थान पत्रिका में दो अक्टूबर को प्रकाशित खबर ‘रणथंभौर में लड़कर मर रहे बाघ, बचाने के लिए मुकुंदरा लाओÓ का संज्ञान ले प्रदेश सरकार ने वन विभाग को रणथंभौर के बाघों को कोटा स्थिति एमएचटीआर और सरिस्का भेजने के निर्देश दिए।
खुला सीवरेज चेम्बर ,अधिकारियों के फूले हाथ-पांव रणथंभौर टाइगर रिजर्व में इलाके पर कब्जा जमाने के लिए महज तीन साल के बाघ वीरू यानी टी-109 को अपनी जान गंवानी पड़ी। हालांकि उसकी मौत से तीन दिन पहले ही कोटा के वन्यजीव प्रेमियों ने आपसी मुकाबले में फंसे रणथंभौर के बाघों को बचाने के लिए उन्हें मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (एमएचटीआर) में शिफ्ट करने की मांग की थी। राजस्थान पत्रिका में दो अक्टूबर को प्रकाशित खबर ‘रणथंभौर में लड़कर मर रहे बाघ, बचाने के लिए मुकुंदरा लाओÓ का संज्ञान ले प्रदेश सरकार ने वन विभाग को रणथंभौर के बाघों को कोटा स्थिति एमएचटीआर और सरिस्का भेजने के निर्देश दिए।
दो बाघिन आएं कोटा
राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर से सरकार ही नहीं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने भी रणथंभौर के बाघों को शिफ्ट करने की अनुमति जारी कर दी, लेकिन वन विभाग इनके जोड़े या फिर बाघों को भेजने की कोशिश में जुटा है। इसके विरोध में वन्यजीव प्रेमियों ने प्रदेश और केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि मुकुंदरा हिल्स में दो बाघ और बाघिन मौजूद हैं। ऐसे में यह नया अभयारण्य जल्द से जल्द आबाद हो सके, इसके लिए दो बाघिन भेजने की जरूरत है, न कि बाघ शिफ्ट करने चाहिए। जबकि सरिस्का और रामगढ़ विषधारी में नया जोड़ा भेजा जाए।
राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित खबर से सरकार ही नहीं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने भी रणथंभौर के बाघों को शिफ्ट करने की अनुमति जारी कर दी, लेकिन वन विभाग इनके जोड़े या फिर बाघों को भेजने की कोशिश में जुटा है। इसके विरोध में वन्यजीव प्रेमियों ने प्रदेश और केंद्र सरकार से गुहार लगाई है कि मुकुंदरा हिल्स में दो बाघ और बाघिन मौजूद हैं। ऐसे में यह नया अभयारण्य जल्द से जल्द आबाद हो सके, इसके लिए दो बाघिन भेजने की जरूरत है, न कि बाघ शिफ्ट करने चाहिए। जबकि सरिस्का और रामगढ़ विषधारी में नया जोड़ा भेजा जाए।
खत्म करना होगा टकराव
पीपुल फॉर एनीमल्स (पीएफए) के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने एनटीसीए के चेयरमैन एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर और पीएफए की राष्ट्रीय अध्यक्ष मेनका गांधी को पत्र लिखकर मुकुंदरा को सरिस्का बनने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने तीनों लोगों से गुहार लगाई है कि अभी भी वन विभाग मुुकंदरा में बसे हजारों लोगों का विस्थापन कर उन्हें गांवों से सुरक्षित बाहर नहीं निकाल सका है। ऐसे में बाघों का कुनबा बढऩे के साथ ही मनुष्य और वन्यजीवों के बीच टकराव भी बढ़ेगा, जो न सिर्फ इंसानी जिंदगियों बल्कि बाघ संरक्षण की कोशिशों के लिए भी भारी साबित हो सकता है। ऐसे में एनटीसीए गांवों के विस्थापन के लिए तय की गई आर्थिक मदद तत्काल जारी करे और रणथंभौर से दो बाघिनों को मुकुंदरा भेज रियासतकालीन बाघ अभयारण्य को हमेशा के लिए आबाद रखने में अपनी अहम भूमिका निभाए। जाजू ने कहा कि मुकुंदरा को टाइगर रिजर्व घोषित किए हुए 20 साल से ज्यादा का वक्त हो गया, लेकिन वन विभाग के लापरवाह अधिकारी अभी तक गांवों का विस्थापन नहीं करा सके। जिसके चलते यह अभयारण्य असुरक्षित बना हुआ है।
पीपुल फॉर एनीमल्स (पीएफए) के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने एनटीसीए के चेयरमैन एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर और पीएफए की राष्ट्रीय अध्यक्ष मेनका गांधी को पत्र लिखकर मुकुंदरा को सरिस्का बनने से रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने तीनों लोगों से गुहार लगाई है कि अभी भी वन विभाग मुुकंदरा में बसे हजारों लोगों का विस्थापन कर उन्हें गांवों से सुरक्षित बाहर नहीं निकाल सका है। ऐसे में बाघों का कुनबा बढऩे के साथ ही मनुष्य और वन्यजीवों के बीच टकराव भी बढ़ेगा, जो न सिर्फ इंसानी जिंदगियों बल्कि बाघ संरक्षण की कोशिशों के लिए भी भारी साबित हो सकता है। ऐसे में एनटीसीए गांवों के विस्थापन के लिए तय की गई आर्थिक मदद तत्काल जारी करे और रणथंभौर से दो बाघिनों को मुकुंदरा भेज रियासतकालीन बाघ अभयारण्य को हमेशा के लिए आबाद रखने में अपनी अहम भूमिका निभाए। जाजू ने कहा कि मुकुंदरा को टाइगर रिजर्व घोषित किए हुए 20 साल से ज्यादा का वक्त हो गया, लेकिन वन विभाग के लापरवाह अधिकारी अभी तक गांवों का विस्थापन नहीं करा सके। जिसके चलते यह अभयारण्य असुरक्षित बना हुआ है।