महावीर नगर थाना प्रभारी विष्णु पंकज ने बताया कि इंजेक्शन के बैच नम्बर की जांच करने के लिए आरोपी मनोज रेगर को साथ लेकर श्रीजी एवं कोटा हार्ट अस्पताल में जाकर जांच पड़ताल की। जांच में पाया कि मनोज रेगर पिछले महीने ही अस्पताल में नर्सिंग कर्मी के पद पर काम करने लगा था और 14 मई से इसने अस्पताल जाना छोड़ दिया। 7 मई को अस्पताल के कोविड वार्ड में 307 सी बेड पर रतनलाल भर्ती हुआ था। उसे 8 मार्च को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगना था। इंजेक्शन अस्पताल के स्टोर से ही इश्यू हुआ। आरोपी ने इंजेक्शन अपने पास रख लिया और मरीज के चढ़ रही बोतल में ग्लूकोज मिला पानी का इंजेक्शन लगाकर मरीज को कह दिया कि आपके इंजेक्शन लग गया और रजिस्टर में उसने हस्ताक्षर कर दिए। इसी तरह 12 मार्च को इसी अस्पताल के कोविड वार्ड के बेड नं. 309 बी में भर्ती माया के लिए भी रेमडेशिविर इंजेक्शन इश्यू हुआ, लेकिन उसने इंजेक्शन अपने पास रख ग्लूकोज मिले पानी का इंजेक्शन लगा दिया और अपने साथी कमल को यह कहकर चला गया कि मुझे गांव जाना है, मरीज को इजेक्शन लगा दिया है। रजिस्ट्रर में हस्ताक्षर कर देना।