ज्ञात है कि यूडीएच मंत्री के प्रयासों से कोटा शहर में 3000 करोड़ से ज्यादा के विकास हो रहे हैं। एमबीएस अस्पताल (MBS Hospital ) परिसर में ही बहुमंजिला नए भवन निर्माण पर 34 करोड़ से ज्यादा खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन पुराने अस्पताल में जगह-जगह बदहाली के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए खर्चा नहीं किया जा रहा। हालात बता रहे हैं कि अफसरों की अनदेखी के कारण ही अस्पताल में संक्रमण फैल रहा है। अस्पताल के बिगड़े हाल सरकार व सिस्टम की कार्यप्रणाली को ही कटघरे में खड़ा कर रहा है।
– 24 घंटे में तीन से चार बार सफाई होनी चाहिए, लेकिन इस पर प्रभावी अमल नहीं हो रहा।
– अस्पताल में लगे सीसीटीवी एवं गार्ड की निगरानी भी प्रभावी नहीं है। कोई भी कहीं पर गंदगी फैला रहा है तो पकड़ में नहीं आ रहा।
– गंदगी फैलाने पर जुर्माने वसूलने जैसी कार्रवाई भी कहीं नजर नहीं आ रही।
– निर्धारित रंग के डिब्बों में बॉयोवेस्ट का संग्रहण नहीं हो रहा।
– अस्पताल के गलियारों, वार्डों में गंदगी व बदबू का माहौल है।
– वार्डों व भीड़ वाली जगहों पर संक्रमणरोधी छिड़काव व सेनेटाइज करने की कोई व्यवस्था नहीं है।
अस्पताल के बिगड़े हाल, जो जल्द सुधरने चाहिए-
– अस्पताल के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही गंदगी का आलम दिख रहा है। सड़क पर फैले गंदे पानी में मच्छरों के लार्वा पनप रहे हैं।
– मुख्य द्वार के सामने ओपीडी व आपातकालीन पोर्च व रैम्प की स्थिति खराब है। कोई भी गिरकर घायल हो सकता है। स्ट्रेचर चलाने पर उस पर लेटे मरीज को झटके लगते हैं।
– पर्ची काउंटर पर रजिस्ट्रेशन के लिए लम्बी कतार है, लेकिन कोविड संक्रमण बचाव की पालना कहीं नजर नहीं आ रही।
– ओपीडी में चिकित्सकों के कक्ष, गलियारों, इंजेक्शन कक्ष में बदबू से न केवल मरीज बल्कि चिकित्साकर्मी भी संक्रमण के शिकंजे में हैं।
– गलियारों में बैंच, लोहे की ग्रिल, दरवाजों के शीशे जगह-जगह टूटे हुए हैं। थोड़ी सी असावधानी रहने पर किसी को भी चोट लग सकती है।
-फिजियोथैरेपी विभाग के सामने टीनशेड उखड़ा हुआ है और गलियारे का दरवाजा व फर्श क्षतिग्रस्त है।
-कई वार्डों के खिड़कियों के शीशे व जालियां टूटी हुई हैं। ऐसे में वार्डों में चूहे आ जाते हैं। अन्य जीवों का भी खतरा बना हुआ है।
– इमरजेंसी मेडिसीन वार्ड में 13 एसी लगे हैं, लेकिन वो हांफ रहे हैं, मरम्मत की दरकार है।
-वार्डों में पंखे लगे हैं, जिनसे हवा नहीं मिल रही, मरीजों को घरों से टेबल फेन व कूलर लाकर इंतजाम करने पड़ रहे हैं।
फर्श, गलियारों में हो रहा इलाज-
एमबीएस अस्पताल में कोटा संभाग के अलावा टोंक, सवाईमाधोपुर, मध्यप्रदेश से जुड़े कई जिलों के मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ होने से व्यवस्थाएं बिगड़ रही हैं। अस्पताल की वर्तमान ओपीडी 3 हजार है। मरीजों को भर्ती करने के लिए 750 बेड की सुविधा है, लेकिन 1100 मरीज भर्ती हैं। बेड व्यवस्था नहीं होने पर अतिरिक्त मरीजों को फर्श, गलियारों, बैंचों पर लेटकर इलाज करवाना पड़ रहा है।
फैक्ट फाइल-
– 500 के लगभग हर कोने में धब्बे (पान-मसालों आदि के) गंदगी के दिखाई दे रहे हैं अस्पताल भवन के अंदर।
– 72 लाख हर साल सफाई पेटे खर्च हो रहा है, लेकिन अस्पताल के हर कोने में बदबू है। अस्पताल भवन को संक्रमण मुक्त करने के लिए फिनाइल इत्यादि पदार्थों से सफाई व छिड़काव नहीं हो रहा।
– 200 जगहों से फर्श क्षतिग्रस्त है अस्पताल के गलियारों, वार्ड, कक्षों में।
– 46 लाख का बजट हर साल मरम्मत के लिए निर्धारित है, फिर भी अस्पताल भवन के फर्श से लेकर गलियारों की टाइल्स इत्यादि कई जगहों से उखड़ी है।
– 2 करोड़ की राशि मरम्मत व रखरखाव के लिए स्मार्ट सिटी योजना से स्वीकृत है, लेकिन मरम्मत कार्य शुरू होने का इंतजार बढ़ता जा रहा है।
– 61 सीसीटीवी अस्पताल में लगे हैं। इसमें कई खराब पड़े हैं। सीसीटीवी की प्रभावी मॉनीटरिंग कोई नहीं कर रहा।
– 89 सुरक्षा गार्ड अस्पताल में ड्यूटी पर लगा रखे हैं, लेकिन भीड़ या अनावश्यक लोगों को प्रवेश से कोई नहीं रोक रहा। मरीजों व चिकित्सकों के मोबाइल व पर्स तक चोरी हो चुके हैं।
– प्रशासन, चिकित्सा विभाग के आला अफसरों व जनप्रतिनिधियों को हर माह आकस्मिक निरीक्षण करना चाहिए। जिसकी सूचना में पूर्व में किसी को नहीं दी जाए।
– निरीक्षण हुलिया बदलकर करेंगे तो अव्यवस्था पकड़ में आएगी और उसमें सुधार भी होगा।
– सीसीटीवी व सुरक्षा गार्ड से अस्पताल की निगरानी प्रभावी हो। सीसीटीवी व गार्ड की संख्या बढ़ाई जाए।
-दवा काउंटर व रजिस्ट्रेशन पर्ची काउंटर बढ़ाने चाहिए, ताकि लम्बी कतार नहीं लगे।
– जोधपुर के एम्स एवं एमडीएम अस्पताल की तर्ज पर एमबीएस अस्पताल में गंदगी फैलाने वालों से जुर्माना वसूलने एवं पुलिस कार्रवाई का प्रावधान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
– मेडिकल रिलीफ सोसायटी या स्वच्छता समिति के जरिए अस्पताल की सफाई की रिपोर्ट हर घंटे ली जाए।
सफाई बेहतर करने पर फोकस करेंगे-
एमबीएस अस्पताल की सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने पर ध्यान देंगे। इस बारे में अस्पताल के अधीक्षक से चर्चा करके प्रभावी कदम उठाएंगे। मरीजों के परिजन को भी जागरूक करेंगे। अभी निर्माण कार्य के चलते भी बाहरी क्षेत्र में गंदगी रहती है।
-डॉ. विजय सरदाना, नियंत्रक एमबीएस अस्पताल व प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज, कोटा