छह माह पहले ही उन्हें डायबिटीज की शिकायत हुई थी। उस समय उन्हें दांत में दर्द हुआ। उन्होंने दंत चिकित्सक को दिखाया। उसके बाद वे कोरोना से ठीक हो गए। घर पर उनके मुंह पर सूजन आ गई। घर पर ही इलाज चला, लेकिन राहत नहीं मिली तो उनकी दांत की एमआरआई करवाई गई। उसमें ब्लैक फंगस आया।
उन्हें जयपुर ईएनटी अस्पताल रैफर किया गया। दूसरे दिन अस्पताल में उनका ऑपरेशन हो गया। दस दिन भर्ती रहने के बाद उन्हें बुखार आया, लेकिन घर पर आराम की सलाह देते हुए छुट्टी कर दी। कोटा आने के बाद घर पर उनकी शुगर डाउन होकर 35 पर पहुंच गई। उन्हें दोबारा तलवंडी स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया।
यहां से उन्हें फिर जयपुर ईएनटी अस्पताल रैफर किया गया। वहां भी राहत नहीं मिली तो दूसरे अस्पताल रैफर किया। वहां तबीयत बिगड़ती चली गई। दो दिन भर्ती रखने के बाद लीवर व किडनी पर असर पड़ा। उन्हें वेन्टिलेटर पर लिया, लेकिन 3 जून को उनका दम टूट गया।
अब परिवार में कमाने वाला कोई नहीं
अभय के निधन के बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा है। उनके पिता की पहले हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। अब परिवार में बुजुर्ग मां, पत्नी व 8 साल का बेटा है। अभय भामाशाहमंडी में आढ़त का व्यवसायी करते थे।
अभय के निधन के बाद परिवार में कमाने वाला कोई नहीं बचा है। उनके पिता की पहले हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। अब परिवार में बुजुर्ग मां, पत्नी व 8 साल का बेटा है। अभय भामाशाहमंडी में आढ़त का व्यवसायी करते थे।