कोटा का रियासतकालीन चिडि़याघर केन्द्रीय चिडि़याघर प्राधिकरण(सीजेडएआई) के मापदण्डों पर खरा नहीं उतरता। इसका आकार काफी छोटा है, वहीं इसमें वन्यजीवों के बाड़े भी छोटे हैं। इन स्थितियों के चलते प्राधिकरण चिडि़याघर को स्थाई मान्यता नहीं देता। कोटा में प्रस्तावित बायोलॉजिकल पार्क का निर्माण होने तक सीजेडएआई कोटा जू की अस्थाई मान्यता बढ़ाता रहा है, लेकिन 25 साल बाद भी बायोलॉजिकल पार्क धरातल पर उतरता ना देश इस बार सीजेडएआई चिड़ियाघर की मान्यता बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हो रहा। सूत्रोंं के मुताबिक अथॉरिटी ने जयपुर समेत दूसरे चिड़याघरों को निर्देश दिए हैं कि वह कोटा के चिड़याघर से जानवरों की शिफ्टिंग के लिए तैयारी कर लें।
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जयपुर जाएगी महक वर्ष 2003 में जयपुर के चिड़ियाघर में जन्मी बाघिन महक को सात साल पहले कोटा के चिड़ियाघर में लाया गया था। जिसे विभाग अब वापस जयपुर भेजने की तैयारी में जुट गया है। सूत्रों की मानें तो बाघिन महक को अगले एक सप्ताह में कोटा से जयपुर शिफ्ट कर दिया जाएगा। जहां उसे नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में रखा जाएगा। महक की घर वापसी के लिए नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में विशेष तैयारियां की जा रही हैं।
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पिछले साल जुदा हुई थी गौरी मान्यता के संकट से जूझ रहे कोटा जू को पिछले साल अक्टूबर में एकमात्र शेरनी गौरी से हाथ धोना पड़ा था। सीजेडएआई ने बेहद गुपचुप तरीके से 20 अक्टूबर 2016 के दिन गौरी को कोटा से जोधपुर के चिड़ियाघर भेज दिया था। जिसके बाद कोटा के चिड़ियाघर में महक इकलौती बाघिन बची थी।
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बायोलॉजिकल पार्क का इंतजार सरकार की नांता अभेड़ा क्षेत्र में बायोलॉजिकल पार्क बनाने की योजना है। यह योजना करीब 25 वर्षों से कागजों में दौड़ रही है। क्षेत्र में निगम का ट्रेंचिंग ग्राउण्ड होने से बायोलॉजिकल पार्क आकार नहीं ले सका। पिछले दिनों सीजेडए ने सुझावों के साथ अभेड़ा में चिडि़याघर बनाने को स्वीकृति दी थी, लेकिन इन पर अमल ना होने के कारण कोटा का चिड़ियाघर एक-एक कर खाली होने लगा है। वहीं दूसरी ओर दिसंबर तक मुकुंदरा टाइगर रिजर्व को आबाद करने के दावों पर भी सवाल उठने लगे हैं।